Naresh Bhagoria
4 Dec 2025
नई दिल्ली। देशभर में चल रहे मतदाता सूची के Special Revision अभियान (SIR) को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। कई राज्यों से बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) पर बढ़ते कार्यभार और आत्महत्याओं की खबरें सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले पर गंभीर चिंता जताई। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि, Special Revision प्रक्रिया वैधानिक है और इसे पूरा करना होगा, लेकिन राज्यों का दायित्व है कि BLO पर बढ़ते दबाव को रोका जाए।
सुनवाई में चुनाव आयोग (ECI) ने दावा किया कि, एक BLO को 30 दिनों में अधिकतम 1200 फॉर्म भरने होते हैं, जिसे बड़े बोझ के रूप में नहीं देखा जा सकता।
इस पर CJI सूर्यकांत ने सवाल उठाया कि, क्या 10 फॉर्म रोज भरना भी बोझ है? इस टिप्पणी से स्पष्ट था कि कोर्ट BLO के वास्तविक हालात समझना चाहता है।
सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि, कई BLO रोजाना 40 फॉर्म भरते हैं। कई क्षेत्रों में ऊंची इमारतों में लिफ्ट नहीं होती, BLO को हर मंजिल पर जाकर डेटा इकट्ठा करना पड़ता है। यह काम सिर्फ कागजी नहीं, बल्कि पूरी तरह मेहनत वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि, कई BLO कमजोर नेटवर्क वाले इलाकों में रात 2-3 बजे तक दस्तावेज अपलोड करते हैं।
चुनाव आयोग की ओर से पेश वकील ने कहा कि, यह राजनीतिक बहस बनाई जा रही है, 70 की उम्र में भी मैं सीढ़ियां चढ़ सकता हूं। इस पर कोर्ट ने तुरंत कहा कि, अगर BLO को दिक्कत है तो राज्य सरकारें सपोर्ट स्टाफ दें। यह उनकी जिम्मेदारी है।
कोर्ट ने SIR के दौरान राज्यों को स्पष्ट निर्देश दिए कि, BLO का कार्यभार साझा करने के लिए अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती अनिवार्य है। अगर कोई BLO व्यक्तिगत कारणों स्वास्थ्य, गर्भावस्था, परिवारिक परिस्थितियों के चलते SIR नहीं कर पा रहा है, तो उसे केस-टू-केस आधार पर राहत दी जाए। SIR में नियुक्त कर्मचारियों पर कार्यदबाव अधिक है, तो राज्यों को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट के सामने बताया कि, SIR दबाव के कारण 35-40 BLO की मौतें/आत्महत्याएं सामने आई हैं। कई BLO को सेक्शन 32 के नोटिस मिल रहे हैं कि, निर्धारित समय में काम पूरा न करने पर 2 साल की सजा तक हो सकती है। केवल उत्तर प्रदेश में ही 50 FIR दर्ज की जा चुकी हैं। एक मामला यह भी सामने आया कि, एक BLO को अपनी शादी के लिए छुट्टी नहीं दी गई, जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली। इन बातों पर कोर्ट ने कहा कि, यह स्थिति अत्यंत गंभीर है और तुरंत सुधार हो।
सुनवाई के दौरान CJI सूर्यकांत ने बिहार में हुए Special Revision का जिक्र करते हुए कहा कि, SIR में न तो कोई बाहरी नागरिक पाया गया और न ही फर्जी वोटर मिला। उन्होंने कहा कि, यह राहत की बात है, क्योंकि फेक वोटर और घुसपैठियों को लेकर आशंकाएं थीं, जिन्हें SIR ने गलत साबित किया।
कपिल सिब्बल ने पूछा कि, जब उत्तर प्रदेश में चुनाव 2027 में होने हैं, तो सिर्फ दो महीनों में SIR पूरा करने की इतनी जल्दबाजी क्यों है? इस पर CJI ने तीखा सवाल दागते हुए कहा कि, यदि राज्यों को दिक्कत है तो वे यहां आकर स्पष्ट क्यों नहीं कर रहे?