Manisha Dhanwani
1 Nov 2025
मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी बेबाकी और तीखी बयानबाजी के लिए पहचाने जाने वाले शिवसेना (UBT) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत इन दिनों अस्वस्थ हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए घोषणा की करते हुए कहा कि, वे अगले दो महीनों तक सार्वजनिक जीवन से दूर रहेंगे। उन्होंने बताया कि, वे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। डॉक्टरों ने उन्हें भीड़भाड़ और राजनीतिक गतिविधियों से दूरी बनाए रखने की सलाह दी है।
राउत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर इसकी जानकारी दी। अपने भावनात्मक पोस्ट में उन्होंने लिखा कि, आप सभी ने मुझे बहुत प्यार और विश्वास दिया है। लेकिन मुझे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो गई हैं और मैं इलाज के दौर से गुजर रहा हूं। डॉक्टरों ने मुझे सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूर रहने और भीड़भाड़ से बचने की सलाह दी है। मैं जल्द स्वस्थ होकर लौटूंगा।
उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि, वे नए साल तक पूरी तरह स्वस्थ होकर राजनीती में वापसी करेंगे। हालांकि, उन्होंने अपनी बीमारी की प्रकृति या चिकित्सा से जुड़ी कोई विस्तृत जानकारी साझा नहीं की।
राउत के स्वास्थ्य को लेकर देशभर से प्रतिक्रियाएं सामने आईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चिंता जताते हुए एक्स (ट्विटर) पर लिखा कि, संजय राउत जी, आपके शीघ्र स्वस्थ होने और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना कर रहा हूं। वहीं संजय राउत ने पीएम मोदी के इस संदेश के लिए धन्यवाद देते हुए लिखा कि, वह इस शुभकामना के आभारी हैं।
राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक, राउत 1 नवंबर को ‘महाविकास अघाड़ी’ (MVA) की ओर से चुनाव आयोग के खिलाफ प्रस्तावित प्रदर्शन में शामिल होने वाले थे। अब उनकी अनुपस्थिति में पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता यह जिम्मेदारी निभाएंगे।
राउत शिवसेना (UBT) के मुखर प्रवक्ता हैं, वे अक्सर बीजेपी और एकनाथ शिंदे सरकार की नीतियों पर तीखी प्रतिक्रिया देने की वजह से सुर्खियों में रहते हैं।
संजय राउत का बयान यह संकेत देता है कि, वे कम से कम दो महीने तक राजनीति से दूर रहेंगे। हालांकि, शिवसेना (UBT) की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक स्वास्थ्य बुलेटिन जारी नहीं किया गया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, वे चिकित्सकों की निगरानी में हैं।
संजय राउत की पहचान हमेशा से एक बेबाक वक्ता, तीखे आलोचक और सटीक टिप्पणीकार के रूप में रही है। उनकी अस्थायी अनुपस्थिति ने न केवल उनकी पार्टी बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में भी एक खालीपन और सन्नाटे का एहसास छोड़ दिया है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि राउत की वापसी के बाद राज्य की सियासी गर्माहट एक बार फिर बढ़ जाएगी।