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नवरात्रि स्पेशल : ये हैं चमत्कारी माता… मां कंकाली की टेढ़ी गर्दन हर साल दशहरे पर हो जाती है सीधी, इसे देखने उमड़ती है श्रद्धालुओं की भारी भीड़

धर्म डेस्क। हमारे देश में ऐसे कई मंदिर हैं, जो अपनी अनोखी परंपराओं और रहस्यों के लिए अलग पहचान रखते हैं। उनके चमत्कार के किस्से हमें आए दिन सुनने को मिलते हैं। ऐसा ही एक मंदिर भोपाल से 15 किलोमीटर दूर मां कंकाली का है। भोपाल जिले की सीमा से सटा ये मंदिर वैसे आता तो रायसेन जिले के गुदावल गांव की सीमा में है, लेकिन यहां उमड़ने वाली भीड़ में सबसे ज्यादा लोग राजधानी के ही होते हैं।

अब आपको इस मंदिर के चमत्कार के बारे में बताते हैं… कंकाली माता मंदिर के गर्भगृह में विराजमान मां काली की गर्दन वैसे तो 45 डिग्री टेढ़ी है। लेकिन, एक खास दिन ये प्रतिमा ऐसा चमत्कार दिखाती है कि देखने वाले भी अचरज में पड़ जाते हैं।

दशहरे पर दिखता है अनोखा चमत्कार

मां कंकाली की मूर्ति की खास बात है कि एक विशेष दिन इसकी टेढ़ी गर्दन अपने आप सीधी हो जाती है। नवरात्रि के बाद दशहरे के दिन कुछ पलों के लिए यह स्वयं ही सीधी होती है। हालांकि ये नजारा कुछ ही लोग देख पाते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि यह दृश्य किसी भाग्य के धनी भक्त को ही दिखाई देता है, लेकिन इसे देखने की आस लिए हर साल दशहरे पर हजारों भक्त मां के दरबार में आते हैं।

अब बात इस मंदिर के दूसरे चमत्कार की करते हैं। कहा जाता है कि मां कंकाली के दर्शन मात्र से इंसान के सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। इसलिए नवरात्रि के दौरान यहां मेले सा नजारा दिखाई देता है। यहां माता की 20 भुजाओं वाली मूर्ति के अलावा त्रिदेव ब्रम्हा, विष्णु और महेश की मूर्तियां भी स्थापित हैं। माता का यह मंदिर रायसेन जिले के गोदवाल गांव में स्थित है। शारदीय नवरात्रि शुरू होते ही मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है।

मंदिर के प्रांगण में नहीं है एक भी पिलर

देवी कंकाली के बारे में मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे दिल से मां के दरबार में शीश झुकाता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। यहां भक्त एक धागा बांधकर अपनी मनोकामना मांगते हैं और पूरी होने पर एक धागे को खोलकर चले जाते हैं। इसके पीछे यह पौराणिक मान्यता है कि जैसे ही किसी व्यक्ति की मनोकामना पूरी होगी तो वह जिस भी भक्त के बांधे धागे को खोल देगा, उसकी भी मनोकामना पूरी हो जाएगी। इस तरह धागा बांधने और खोलने का क्रम जारी रहता है। वैसे इस मंदिर की एक और खासियत है। इस प्राचीन मंदिर का गर्भगृह भी है, जिसमें एक भी पिलर नहीं है।

मां भरती है महिलाओं की सूनी गोद

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां कंकाली संतान देने वाली मां है। इस कारण मंदिर में जो भी निसंतान दंपति आकर काली के दरबार में शीश झुकाते हैं, उनकी सूनी गोद भी भर जाती है। इसके लिए भी एक अनोखा अनुष्ठान यहां होता है। निसंतान महिलाएं यहां संतान की मनोकामना मांगते समय अपने उल्टे हाथ से गोबर की छाप लगाती हैं और मन्नत पूरी होने पर सीधे हाथ की छाप बना जाती हैं।

ऐसा माना जाता है कि यह प्राचीन प्रतिमा खुदाई के दौरान मिली थी और धीरे-धीरे इसके चमत्कार की कहानियां देश भर में प्रसिद्ध हो गईं। इस मंदिर स्थापना को लेकर यह भी मान्यता है कि यहां के रहने वाले एक किसान हर लाल को रात के समय मां ने सपने में दर्शन दिए थे। सुबह जब सपने में देखी जमीन पर खुदाई करवाई गई, तो उन्हें देवी मां की यह मूर्ति मिली। उन्होंने वह प्रतिमा यहां स्थापित करवा दी। तब से ही यह मंदिर अस्तित्व में है।

(इनपुट – नितिन साहनी)

(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)

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