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नवरात्रि स्पेशल : दो बहनों का वास है देवास… टेकरी पर विराजी हैं तुलजा भवानी और चामुंडा, बालिका रुप में दिए थे दर्शन

धर्म डेस्क। शारदीय नवरात्रि के अवसर पर देश ही नहीं पूरी दुनिया में माता रानी की पूजा-अर्चना होती है। इन दिनों में सबसे ज्यादा चर्चा होती है उन शक्तिपीठों की, जो देश ही नहीं दुनिया भर के लिए आस्था के केंद्र हैं। इन्हीं में से एक है देवास वाली माता का मंदिर। इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि यह दुनिया का एकमात्र शक्ति और साधना का केंद्र है, जहां पहाड़ पर माता रानी दो बहनों के रूप में विराजमान हैं… यहां मां तुलजा भवानी और मां चामुंडा के एक साथ दर्शन होते हैं। इस मंदिर को टेकरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से जो भी मन्नत मांगी जाती है, वह जरूर पूरी होती है।

दो राजवंशों से जुड़ा है इतिहास

मान्यताओं के अनुसार देवास ऐसा पहला शहर भी है, जहां दो वंश राज करते थे… पहला होलकर राजवंश और दूसरा पंवार राजवंश। मां तुलजा भवानी होलकर राजवंश की कुलदेवी हैं और मां चामुंडा देवी पंवार राजवंश की कुलदेवी हैं। ऐसा माना जाता है कि मां तुलजा भवानी और मां चामुंडा ने यहां पर सबसे पहले बालिका के रूप में दर्शन दिए थे। स्थानीय लोग तो इन दोनों को छोटी मां और बड़ी मां के नाम से पुकारते हैं… लोगों के लिए तुलजा भवानी बड़ी मां और चामुंडा देवी छोटी मां हैं… हालांकि इसके अलावा भी यहां 9 देवियों का वास है।

24 घंटे में तीन बार रूप बदलती हैं मां

यहां स्थापित तुलजा भवानी और चामुंडा माता की प्रतिमाओं का इतिहास 5000 साल पुराना है। ये मंदिर एक पहाड़ी पर है, जिसे स्थानीय बोलचाल की भाषा में टेकरी कहा जाता है… यही वजह है कि इसे टेकरी मंदिर के नाम से भी लोग पुकारते हैं। यहां एक छोर पर मां तुलजा भवानी और दूसरे छोर पर मां चामुंडा माता विराजमान हैं। आज भी यह माना जाता है कि यहां दोनों देवी मां अपने जागृत रूप में हैं। यही वजह है कि यहां दोनों मां की प्रतिमाएं 24 घंटे में तीन बार अपना रूप बदलती हैं। सुबह आप मां को बालिका, दोपहर को युवा और रात में वृद्धा के रूप में देख सकते हैं।

मां तुलजा भवानी और मां चामुंडा

अलग-अलग दिशाओं में क्यों है दोनों प्रतिमाएं..!

टेकरी पर स्थापित मां तुलजा भवानी के ऊपरी भाग के ही दर्शन होते हैं। जबकि मां चामुंडा अपने विशाल रूप में भक्तों को दिखाई देती हैं… इस बारे में किवदंती है कि एक दिन किसी बात पर दोनों बहनों में विवाद हो गया और इसके चलते दोनों ही माताएं अपना-अपना स्थान छोड़कर गुस्से में जाने लगीं। बड़ी मां तुलजा भवानी पाताल में समाने लगीं और छोटी मां चामुंडा अपना स्थान छोड़कर टेकरी से नीचे उतरने लगीं…. तभी माताओं को क्रोधित देख हनुमान जी और भैरो बाबा ने उनसे शांत होने की विनती की। इसके बाद दोनों माताएं जैसीं थीं, वैसी ही रुक गईं। इस समय तक बड़ी माता तुलजा भवानी का आधा शरीर क्रोध के कारण पाताल में समा चूका था। इस कारण वे आज भी वैसी ही स्थिति में टेकरी पर हैं। छोटी माता टेकरी से उतर रहीं थीं और उनका मार्ग अवरुद्ध होने के कारण वे जिस अवस्था में नीचे उतर रहीं थीं, उसी स्थिति में टेकरी पर विराजमान हो गईं।

यहां मां सती का रक्त गिरा था

देवास की इस पुण्य भूमि के बारे में मान्यता है कि, यहां मां सती का रक्त गिरा था। इसी से दोनों देवियों की उत्पत्ति हुई…. यहां विराजीं मां तुलजा भवानी और मां चामुंडा माता दोनों देवियों के बीच बहन का रिश्ता है…. यहां ये दोनों देवियां बालिका रूप में अठखेलियां करती थीं और साथ ही रहती थीं…. देवास के इस टेकरी मंदिर के बारे में ये भी कहा जाता है कि, वैष्णों देवी मंदिर की तरह यहां भी भैरो बाबा के दर्शन के बगैर प्रार्थना सफल नहीं होती। यही वजह है कि यहां आने वले श्रृद्धालु बड़ी मां और छोटी मां के साथ भैरो बाबा के भी दर्शन अवश्य करते हैं। नवरात्रि के समय यहां दुनिया भर से लाखों की तादाद में भक्त माता के दर्शन करने पहुंचते हैं…. इस मंदिर पर जाने के लिए आपको या तो 410 सीढ़ियां चढ़नी होंगी या फिर घुमावदार रास्ते से मंदिर तक जाना पड़ेगा। इसके साथ ही यहां अब रोप-वे की सुविधा उपलब्ध है… जो आपको मां के धाम ले जाते समय देवास शहर के सुंदर नजारों को भी दिखाता है.. तो अगर आप भी नवरात्रि में जाना चाहते हैं देवी दर्शन के लिए तो इस बार बनाइए देवास का प्लान…

(इनपुट – सोनाली राय)

(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)

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