ताजा खबरधर्म

नवरात्रि स्पेशल : चुनाव में जीत से लेकर कोर्ट-कचहरी से मुक्ति पाने की खातिर नेता से लेकर फिल्म स्टार तक पहुंचते हैं मां बगलामुखी के दरबार, श्मशान के बीचों-बीच बनी है यह सिद्ध पीठ

धर्म डेस्क। नवरात्रि के पावन पर्व पर आज हम आपको दर्शन कराने जा रहे हैं मध्य प्रदेश में स्थित एक ऐसी सिद्ध पीठ की जो श्मशान के बीचों-बीच स्थित है। आपको शायद जानकर अचरज होगा, लेकिन यही खूबी इसे साधकों के बीच ज्यादा लोकप्रिय बनाती है। आगर जिले की नलखेड़ा तहसील में स्थित ये देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां माता की स्वयंभू मूर्ति में तीन देवियों के दर्शन होते हैं… प्रतिमा के बीच में मां बगलामुखी, दाएं माता लक्ष्मी और बाएं देवी सरस्वती विराजमान हैं। मान्यता है कि यहां हवन-पूजन कराने से दुश्मनों पर जीत मिलती है… इतना ही नहीं चुनावों में जीत, व्यापार में लाभ और सफलता, कोर्ट-कचहरी के मामलों से छुटकारा भी मां बगलामुखी ही दिलाती हैं। यही वजह है कि हर साल देवी के दरबार में कई VIP, राजनेता और बड़े-बड़े बॉलीवुड स्टार पहुंचते हैं।

चारों तरफ श्मशान बीच में विराजी मां

तीन मुख वाली त्रिशक्ति माता बगलामुखी का यह पौराणिक मंदिर द्वापर काल का बताया जाता है। एक साथ तीन शक्तियों वाला मां का ऐसा मंदिर दुनिया में किसी दूसरी जगह नहीं है। देवी बगलामुखी का यह प्राचीन धर्म स्थल नलखेड़ा में लखुन्दर नदी के तट पर स्थित है। माता का यह शक्ति स्थल चारों ओर से श्मशान से घिरा हुआ है। इस मंदिर की सिद्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर साल यहां साधना के लिए बड़ी संख्या में अघोरी और तांत्रिक, अनुष्ठान के लिए पहुंचते हैं।

9 दिन होता है विशेष श्रृंगार

शारदीय नवरात्रि में देवी बगलामुखी मंदिर की छटा देखते ही बनती है। यहां घटस्थापना के बाद मां का 9 दिन तक अलग-अलग रूपों में श्रृंगार किया जाता है। विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। नवमी के दिन हवन के बाद ज्वारों को नदी में विसर्जित करने की प्रक्रिया पूरी की जाती है। इस दौरान जुलूस निकाला जाता है। इसमें अलग-अलग राज्यों से श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसके साथ ही नवरात्रि के नौ दिनों में यहां भक्तों का रेला सा दिखाई देता है… और उस समय हजारों दर्शनार्थी मंदिर में अपनी बारी का इंतजार करते दिखाई देते हैं।

मिर्ची अनुष्ठान का महत्व

इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए मिर्ची यज्ञ कराया जाता है। बगलामुखी मंदिर में होने वाले मिर्ची यज्ञ की मान्यता है कि इसके जरिए मनवांछित फल मिलता ही है। यही वजह है कि अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए देश भर से सैकड़ों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। सामान्य तौर पर मिर्ची यज्ञ के लिए होने वाले अनुष्ठान में एक बार में एक क्विंटल लाल मिर्च, यज्ञ अग्नि में छोड़ी जाती है। इसके साथ ही गूगल, चंदन और सरसों भी यज्ञ वेदी में अर्पित करते हैं।

पीत (पीला) प्रधान है मंदिर

इस मंदिर की खास बात है कि इसमें रखी हर चीज पीले रंग की है… मां बगलामुखी की पूजा करते समय श्रद्धालुओं में से अधिकांश पीले रंग के वस्त्र ही पहनकर मंदिर जाते हैं। मंदिर का रंग, माता के वस्त्र के साथ माता को लगने वाला भोग भी पीले रंग का ही होता है। मां बगलामुखी के कई रूप हैं और रात के वक्त इस शक्ति पीठ में इनकी साधना करने से विशेष सिद्धियों की प्राप्ति होती है… इतना ही नहीं माता के आशीर्वाद से भक्तों के आसपास शत्रु और बुरी शक्तियां भटक तक नहीं पातीं।

पांडवों को मिला था अपना साम्राज्य वापिस

स्थानीय लोग बताते हैं कि महाभारत काल में जब पांडव विपत्ति में थे, तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें मां बगलामुखी की पूजा करने को कहा था। उस समय बगलामुखी मां की मूर्ति खुले चबूतरे पर विराजमान थी। पांडवों ने इस त्रिगुण शक्ति की आराधना से अपनी दुखों से मुक्ति पाई और अपना खोया हुआ साम्राज्य वापस पाया। तब से लेकर आज तक मां बगलामुखी को शत्रु नाशिनी के रूप में भी पूजा जाता है। मंदिर के बारे में यह भी किवदंती है कि इसकी स्थापना स्वयं महाराज युधिष्ठिर ने की थी। मां भगवती बगलामुखी को सभी देवियों में सबसे विशिष्ट माना जाता है, यही वजह है कि विश्व में इनके सिर्फ तीन ही महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें सिद्ध पीठ कहा जाता है। यह मंदिर उन्हीं में से एक है।

मां के दरबार में इंदिरा गांधी भी लगा चुकीं हैं हाजिरी

देवी बगलामुखी मंदिर में राजनेता और अभिनेता मां के द्वार पर हाजिरी लगाने पहुंचते हैं। देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी यहां पूजा कर चुकीं हैं। इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी मां के दर पर शीष नवा चुके हैं। मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ ने भी अपनी पत्नी कोबिता के साथ यहां तांत्रिक पूजा करवाई थी। पिछले साल बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी अपने पति राज कुंद्रा के साथ यहां पहुंची और शत्रु नाशिनी यज्ञ कराया था। चलते-चलते इस मंदिर की एक और खूबी आपको बता देते हैं… अगर कोई इस मंदिर में दर्शन के लिए नहीं आ सकता, तो भी वह अपने नाम से  पूजा, यज्ञ या अनुष्ठान करा सकता है… और यही वजह है कि कई नामचीन लोगों के नाम से यहां हर अमावस्या और नवरात्रि को गुप्त तंत्र साधनाएं कराई जाती हैं…

(इनपुट – हेमंत नागले एवं विवेक राठौर)

(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)

ये भी पढ़ें- नवरात्रि स्पेशल : ये हैं तीन रूपों वाली मां त्रिपुरा… मन्नतों के नारियल से सजता है माता रानी का दरबार, यहां होती है हर मनोकामना पूरी

ये भी पढ़ें- नवरात्रि स्पेशल : दो बहनों का वास है देवास… टेकरी पर विराजी हैं तुलजा भवानी और चामुंडा, बालिका रुप में दिए थे दर्शन

संबंधित खबरें...

Back to top button