Shivani Gupta
9 Dec 2025
इंदौर। कहीं खुशी थी तो कहीं गम, ऐसे चले बम की सब रह गए दंग, जी हां... इंदौर शहर में हर कोई बड़ा अधिकारी आना चाहता है और यहां पर पोस्टिंग पाना चाहता है। मुश्किल होता है, लेकिन जैसे-तैसे वह इंदौर आ ही जाता है। वहीं यदि किसी अधिकारी की दूसरी पोस्टिंग में उसके विदाई समारोह में इस तरह का जश्न मनाया जाए की देखकर आप भी दंग रह जाएंगे।
शहर में दो दिन पहले एक आईपीएस अधिकारी (डीसीपी) का विदाई समारोह जिस भव्य तरीके से मनाया गया, उसने कई सवाल खड़े कर दिए। आमतौर पर इतना बड़ा सम्मान पुलिस कमिश्नर या डीजीपी के रिटायरमेंट पर भी कम ही देखने को मिलता है, लेकिन इस कार्यक्रम में शॉल-श्रीफल से स्वागत, मालवी पगड़ी बांधने और फूलों की बौछार के साथ ऐसा माहौल बना मानो रिटायरमेंट हो। डीसीपी की एंट्री भी कुछ ऐसी रही जैसे कोई फिल्मी कलाकार प्रमोशन के लिए पहुंचा हो। समारोह पर हुआ अधिक खर्च और सजावट-आतिशबाजी ने भी चर्चा को हवा दी कि यह एक साधारण विदाई से कहीं अधिक भव्य आयोजन था।
लंबी कवायद के बाद आई आईपीएस अधिकारियों की ट्रांसफर सूची में डीसीपी जोन-1 विनोद मीणा का इंदौर से तबादला हुआ। आरोप है कि उनके कार्यकाल में राजेंद्र नगर, तेजाजी नगर और गांधी नगर थानों के दायरे में हुई कुछ घटनाओं को दबा दिया गया या वे ठंडे बस्ते में चली गईं। बताया जाता है कि इन मामलों पर पुलिस कमिश्नर ने नाराजगी जताई थी और बात पीएचक्यू तक भी पहुंची, पर यह फिलहाल अधिकारियों के बीच ही सीमित रही।
राजेंद्र नगर के हवाला कांड में कथित तौर पर बड़ी रकम चर्चा में रही, जिसकी शिकायत ऊपर तक हुई, लेकिन डीसीपी इस मामले में ठोस कार्रवाई नहीं कर पाए। तेजाजी नगर इलाके में जवानों द्वारा संरक्षण देकर ड्रग्स बिकवाने की शिकायत भी उसी अवधि में हुई थी; तब पुलिस कमिश्नर ने हस्तक्षेप कर संबंधित जवानों को थाने से हटाया। विनोद मीणा के इंदौर में रहते हुए अक्सर अपने अधीनस्थ अधिकारियों चाहे एसीपी हों या अन्य का बचाव करते दिखाई दिए। उनका शांत स्वभाव कई बार ‘मौन’ के रूप में भी देखा गया। इसे बेहतर आचरण माना जाए या दबाव, यह स्पष्ट नहीं है।
डीसीपी विनोद मीणा की यह दूसरी पोस्टिंग थी। इससे पहले वे उज्जैन में एडिशनल के पद पर थे। इंदौर आने के बाद शुरुआत में वे मीडिया से नियमित संवाद करते थे, लेकिन बाद में बताया जाता है- अपने टीआई और निचले स्टाफ की बातों को तरजीह देते हुए मीडिया से दूरी बनाने लगे, कुछ पत्रकारों के नंबर ब्लॉक तक कर दिए। नतीजा यह हुआ कि उनके सर्कल से जुड़ी खबरों पर वे न तो समय पर प्रतिक्रिया दे पाए, न ही प्रभावी सफाई रख सके। पुलिस कमिश्नर तक जानकारी पहुंचने पर उन्हें कई बार फटकार भी झेलनी पड़ी।
सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें-वीडियो देखकर कई लोग इसे किसी बड़े नेता-बिल्डर का जन्मदिन या शादी की पार्टी समझ बैठे। दरअसल, एक पांच-सितारा होटल में जिस अंदाज में यह विदाई हुई, वह स्वयं में सवाल खड़े करती है- आखिर थाना प्रभारियों और अधिकारियों ने इतना आलीशान आयोजन करके क्या संदेश देना चाहा? इंदौर में अमूमन विदाई पर छोटी-सी औपचारिक सभा होती है, लेकिन इस बार का भव्य आयोजन चर्चा का विषय बना हुआ है।
(रिपोर्ट - हेमंत नागले)