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Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष आज से प्रारंभ, लोगों ने शीतलदास की बगिया पहुंचकर किया पितरों का तर्पण, देखें VIDEO

भोपाल। पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पुण्य स्मरण का पखवाड़ा आज से प्रारंभ हो गया है। श्राद्ध पक्ष को पितृपक्ष और महालय के नाम से भी जाना जाता है। पितृपक्ष के पहले दिन शुक्रवार सुबह राजधानी में शीतलदास की बगिया समेत कई अन्य घाटों पर पहुंचकर लोगों ने पितरों का तर्पण किया। इस दौरान सबसे ज्यादा भीड़ शीतलदास की बगिया घाट पर नजर आई। प्रशासन ने यहां भी सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए हैं। सुबह से ही गोताखोरों को तैनात किया गया।

शीतल दास की बगिया में स्थानीय लोगों ने पहुंचकर पितरों का तर्पण किया। फोटो- प्रवीण बाजपेयी।

शुभ कार्य बंद, ना खरीदें इन चीजों को

इस बार पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू हो गए हैं और इनका समापन 14 अक्टूबर 2023 को होगा। सनातन परंपरा के अनुसार लोग पूर्वजों को नियत तिथि पर श्राद्ध कर्म से स्मरण करेंगे। इसके साथ ही सोलह दिनों तक सभी शुभ कार्य बंद हो जाएंगे। इन दिनों में लोग कपड़ा, सोना, चांदी, भवन, भूमि या वाहन की खरीदी भी नहीं करेंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा का श्राद्ध कर्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को होगा। जिस तिथि में पितर देव दिवंगत हुए होते है, उसी तिथि पर पितृपक्ष में तिथियों के अनुसार श्राद्ध कर्म एवं तर्पण किया जाना शास्त्रसम्मत है।

अमावस्या के दिन पितरों को देते हैं विदाई

आज से पूरे सोलह दिनों के लिए बाजारों की रौनक गायब हो जाएगी। इसके अलावा राजधानी में शीतलदास की बगिया व खटलापुरा में लोग पूर्वजों को जल तर्पण करते नजर आएंगे। गुरुजी ने बताया कि 14 अक्टूबर को श्राद्ध पक्ष का समापन होगा। 15 अक्टूबर से मां भवानी की आराधना का पर्व शुरू हो जाएगा। आश्‍विन मास में पंद्रह दिन श्राद्ध के लिए माने गए हैं। पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक का समय पितरों को याद करने के लिए मनाया गया है।

सबसे पहला श्राद्ध पूर्णिमा से शुरू होता है। इस दिन पहला श्राद्ध कहा जाता है। जिन पितरों का देहांत पूर्णिमा के दिन हुआ हो, उनका श्राद्ध पूर्णिमा तिथि के दिन किया जाता है। इन 15 दिनों में सभी अपने पितरों का उनकी निश्चित तिथि पर तर्पण, श्राद्ध करते हैं। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देकर प्रस्थान करते हैं। अमावस्या के दिन पितरों को विदाई दी जाती है।

पितृपक्ष का महत्व

पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यता है कि हर मनुष्य का जन्म पिंडज योनि के तहत होता है, इसलिए पिंड का रूप में ही उसका तर्पण भी किया जाता है। जिन लोगों को अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के बारे में जानकारी नहीं हैं, वे लो अमावस्या के दिन श्राद्ध कर सकते हैं। कुंडली में पितृ दोष दूर करने के लिए पितृपक्ष का समय सबसे अच्छा माना जाता है। इन दिनों पितरों को खुश करने के लिए और उनका आशीर्वाद पाने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं।

आत्मा की शांति के लिए दान का महत्व

पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान का धार्मिक महत्व है। पितृपक्ष 15 दिन की अवधि के लिए होता है और इस दौरान पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए पूरे विधि विधान के साथ उनका श्राद्ध किया जाता है। हर साल ही पितृपक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्विन मास की अमावस्या तक रहता है। इस अवधि के दौरान तिथि के अनुसार अपने पूर्वजों का श्राद्ध किया जाना चाहिए।

पितृपक्ष की प्रमुख तिथियां

29 सितंबर 2023 – शुक्रवार, प्रतिपदा श्राद्ध
30 सितंबर 2023 – शनिवार, द्वितीया श्राद्ध
01 अक्टूबर 2023 – रविवार, तृतीया श्राद्ध
02 अक्टूबर 2023 – सोमवार, चतुर्थी श्राद्ध
03 अक्टूबर 2023 – मंगलवार, पंचमी श्राद्ध
04 अक्टूबर 2023 – बुधवार, षष्ठी श्राद्ध
05 अक्टूबर 2023 – गुरुवार, सप्तमी श्राद्ध
06 अक्टूबर 2023 – शुक्रवार, अष्टमी श्राद्ध
07 अक्टूबर 2023 – शनिवार, नवमी श्राद्ध
08 अक्टूबर 2023 – रविवार, दशमी श्राद्ध
09 अक्टूबर 2023 – सोमवार, एकादशी श्राद्ध
11 अक्टूबर 2023 – बुधवार, द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर 2023 – गुरुवार, त्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर 2023 – शुक्रवार, चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर 2023 – शनिवार, सर्व पितृ अमावस्या

(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)

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