संजय दुबे
जबलपुर। नवरात्र का आज सातवां दिन है। इस दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। माता का यह स्वरूप हमें कठिनाइयों से लड़ने की प्रेरणा देता है। आज हम इसी शक्ति स्वरूपा रीवा की बेटी की कहानी आपको बताएंगे कि कैसे रेखा सिंह ने कठिनाइयों को पार कर भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट का पद हासिल किया। उमरिया जिले के ग्राम धमोखर की रहने वाली रेखा सिंह का विवाह रीवा निवासी दीपक सिंह के साथ हुआ था। वे सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर कार्यरत थे। 2020 में भारत-चीन सीमा पर स्थित गलवान घाटी में सीमा विवाद को लेकर हुई हिंसक झड़प में लेफ्टिनेंट दीपक शहीद हो गए। विवाह के मात्र 15 माह बाद ही पति की शहादत ने रेखा के पूरे जीवन को बदल दिया पर उन्होंने हार मानने के बजाय इसे अपनी शक्ति का स्रोत बनाया और दूसरे प्रयास में सेना में स्थान प्राप्त किया। किया गया। खास बात ये है कि जहां उनकी पति शहीद हुए, उन्हें पहली पोस्टिंग वहीं मिली।
साहस से हर लक्ष्य संभव : रेखा
रेखा सिंह का कहना है कि, 'यह सफलता सिर्फ मेरे पति की प्रेरणा का परिणाम नहीं है, बल्कि समाज की हर उस नारी के लिए संदेश है, जो सपने देखने और उन्हें पूरा करने का साहस रखती है।' साहस हो तो हर लक्ष्य संभव है।