Shivani Gupta
30 Nov 2025
नई दिल्ली। भारत की संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो रहा है, जो 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा। कुल 19 दिनों में 15 बैठकें निर्धारित की गई हैं। सत्र की शुरुआत से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में 36 दलों के 50 नेता शामिल हुए। बैठक को उत्पादक बताते हुए संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि, सरकार सभी मुद्दों पर नियमों के अनुसार चर्चा के लिए तैयार है और सत्र शांतिपूर्ण ढंग से चलना चाहिए।
इस सत्र में सरकार का फोकस आर्थिक सुधार, परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में बड़ा बदलाव और उच्च शिक्षा व्यवस्था में सुधार जैसे बड़े कदमों पर रहने वाला है। लोकसभा की कार्य मंत्रणा समिति (BAC) ने 13 विधेयकों पर समय आवंटित किया है। इनमें कई ऐसे बिल शामिल हैं जो भारत की नीतिगत और आर्थिक दिशा को प्रभावित करेंगे।
यह सत्र का सबसे चर्चित विधेयक हो सकता है। इसमें देश के असैन्य परमाणु क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने का प्रस्ताव है। यह कदम भारत के ऊर्जा क्षेत्र में बड़ा बदलाव माना जा रहा है, क्योंकि अब तक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का संचालन केवल सरकारी संस्थाएं करती रही हैं।
सरकार UGC, AICTE और NCTE जैसे पारंपरिक नियामक संस्थानों की जगह एक ही राष्ट्रीय उच्च शिक्षा आयोग बनाने की तैयारी में है। उद्देश्य उच्च शिक्षा व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और सरल बनाना।
ये बिल कारोबार के नियमों को सरल करने, हाईवे प्रोजेक्ट्स के अधिग्रहण में तेजी लाने और प्रतिभूति बाज़ार के लिए एक एकीकृत कानून बनाने का रास्ता खोलेंगे।
सरकार दो नए उपकर और कर संशोधन बिल पेश करेगी-
सरकार ने ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर 10 घंटे की विशेष चर्चा का प्रस्ताव रखा है, जिसकी मंज़ूरी अध्यक्ष द्वारा दी जानी बाकी है।
विपक्ष इस सत्र को शांतिपूर्ण रहने देने के मूड में नहीं दिख रहा है। SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) यानी वोटर लिस्ट के विशेष पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष ने संसद में सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है। विपक्ष के आरोप-
कांग्रेस से लेकर TMC, DMK और SP तक सभी दल इस मुद्दे को संसद में जोरदार तरीके से उठाने जा रहे हैं। राहुल गांधी ने खुलकर कहा है कि, SIR के नाम पर वोटरों को हटाया जा रहा है, संसद में यह मुद्दा उठाना होगा।
विपक्ष का अगला बड़ा मुद्दा दिल्ली में 10 नवंबर को हुआ ब्लास्ट है। कांग्रेस इसे राष्ट्रीय सुरक्षा में “गंभीर चूक” बता रही है। इसके साथ ही ये मुद्दे भी उठ सकते हैं-
12 और 19 दिसंबर को निजी सदस्यों के विधेयक, तथा 12 दिसंबर को निजी संकल्पों पर चर्चा होगी।
संसदीय सूत्रों के अनुसार सरकार का स्पष्ट रुख है कि, SIR प्रक्रिया चुनाव आयोग का नियमित प्रशासनिक कार्य है, संसद में इसकी चर्चा नहीं हो सकती। सरकार ने इसके पीछे सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का हवाला दिया है। यही कारण है कि सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच टकराव की संभावना बढ़ गई है।