Aditi Rawat
10 Nov 2025
इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने अमेरिका की सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के प्रमुख जनरल माइकल ई. कुरिल्ला को अपने देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक-सैन्य सम्मान “निशान-ए-इम्तियाज (मिलिट्री)” प्रदान किया। यह सम्मान इस्लामाबाद स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित विशेष समारोह में राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने उन्हें दिया। कार्यक्रम में पाकिस्तान के सभी शीर्ष नेता और सैन्य अधिकारी मौजूद रहे।
पाकिस्तानी सेना के अनुसार, जनरल कुरिल्ला को यह सम्मान पाकिस्तान-अमेरिका के बीच सैन्य सहयोग को मजबूत करने, आतंकवाद के खिलाफ रणनीतिक साझेदारी और खुफिया आदान-प्रदान में अहम भूमिका निभाने के लिए दिया गया।
पाक सेना के मुताबिक, जनरल कुरिल्ला के नेतृत्व में संयुक्त सैन्य अभ्यास, ऑपरेशन और सुरक्षा साझेदारी को विस्तार मिला है।
पाकिस्तान ने यह सम्मान ऐसे समय पर दिया है, जब एक महीने पहले ही अमेरिका और इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया था, जिसकी कमान और निगरानी में जनरल कुरिल्ला की सीधी भूमिका थी।
वहीं उस समय पाकिस्तान ने खुद को ईरान के साथ खड़ा दिखाते हुए हमले की निंदा की थी। अब एक महीने बाद उसी अमेरिकी जनरल को उच्च सैन्य सम्मान देना, पाकिस्तान की दोहरी कूटनीति को उजागर करता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका द्वारा 22 जून को चलाए गए “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” में ईरान के नतांज़, इस्फहान और फोर्दो जैसे परमाणु ठिकानों पर हमले किए गए थे। इसी दौरान पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर अमेरिका में थे और आरोप है कि उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों को ईरान के ठिकानों की गुप्त जानकारी साझा की थी। इसके अलावा, इजरायली हमलों में मारे गए ईरानी सैन्य अधिकारियों की लोकेशन भी कथित रूप से पाकिस्तान से साझा की गई थी।
यह कदम पाकिस्तान ने ऐसे समय पर उठाया है जब वह आर्थिक संकट, IMF की सख्त शर्तों और FATF के दबाव से जूझ रहा है। 2018 से 2022 तक FATF की ग्रे लिस्ट में रह चुका पाकिस्तान एक बार फिर भारत के विरोध के चलते इसमें वापस डाले जाने की कगार पर है। ऐसे में अमेरिका, जो FATF का संस्थापक सदस्य है, से नजदीकी बढ़ाना पाकिस्तान की रणनीतिक मजबूरी बन गई है।
CENTCOM यानी सेंट्रल कमांड अमेरिका की वह सैन्य इकाई है जो मिडिल ईस्ट, अफगानिस्तान, ईरान और यमन जैसे इलाकों में सैन्य संचालन करती है। इसी कमांड ने ईरान के खिलाफ कई रणनीतिक हमलों की योजना बनाई और उन्हें अंजाम दिया। जनरल कुरिल्ला इस पूरे कमांड के प्रमुख हैं और इजरायल की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
पाकिस्तान की यह नीति कई इस्लामिक देशों, खासकर ईरान की नजरों में संदेहास्पद बन गई है। एक ओर वह OIC मंच पर मुस्लिम एकता की बात करता है, वहीं दूसरी ओर ईरान के विरोधियों के साथ खड़ा नजर आता है। यह सम्मान पाकिस्तानी सेना की सत्ता के समानांतर भूमिका और अमेरिकी प्रभाव में उसके फैसलों को भी उजागर करता है।
‘निशान-ए-इम्तियाज’ पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक-सैन्य सम्मान है, जो किसी व्यक्ति के विशेष योगदान के लिए दिया जाता है। ‘मिलिट्री’ श्रेणी में यह सम्मान विदेशी सैन्य अधिकारियों को दिया जा सकता है, खासकर जब वे पाकिस्तान के साथ सैन्य सहयोग को मजबूत करें।