Aakash Waghmare
7 Nov 2025
जर्मनी के न्यूरेंबर्ग शहर के मशहूर टियरगार्टन चिड़ियाघर ने 12 स्वस्थ बाबूनों को मारने का निर्णय लिया। चिड़ियाघर का कहना है कि उनके पास इन जानवरों को रखने की जगह नहीं बची थी। यह फैसला लंबे समय से विचार-विमर्श के बाद लिया गया, लेकिन इस पर अब भारी विरोध हो रहा है।
न्यूरेंबर्ग चिड़ियाघर में गिनी बाबून की संख्या 43 तक पहुंच गई थी, जबकि वहां केवल 25 बंदरों और उनके बच्चों के लिए ही जगह थी। इससे बंदरों के बीच झगड़े बढ़ने लगे थे। चिड़ियाघर ने दावा किया कि उन्होंने कई सालों तक दूसरी जगह इन बंदरों को भेजने की कोशिश की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया।
बंदरों को मारने की घोषणा के बाद, कई जानवर प्रेमी संगठनों और आम लोगों ने चिड़ियाघर के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। मंगलवार को कुछ प्रदर्शनकारी चिड़ियाघर की दीवार फांदकर अंदर घुस गए। एक महिला ने तो जमीन पर अपने हाथ चिपका लिए। पुलिस ने सभी को थोड़ी ही दूर से गिरफ्तार कर लिया।
चिड़ियाघर ने बताया कि जिन बंदरों को मारा गया, वे न तो गर्भवती थीं और न ही किसी वैज्ञानिक अध्ययन का हिस्सा थीं। उन्हें गोली मारकर खत्म किया गया। उनके शरीर के कुछ हिस्से रिसर्च के लिए रखे गए और बाकी मांस को चिड़ियाघर के मांसाहारी जानवरों को खिला दिया गया।
'प्रो वाइल्डलाइफ' जैसे संगठनों ने इसे कानून के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि यह हत्या रोकी जा सकती थी और चिड़ियाघर की ब्रीडिंग मैनेजमेंट पूरी तरह से गलत रही। उन्होंने चिड़ियाघर के अधिकारियों पर कानूनी शिकायत भी दर्ज कराई है।
यूरोप के चिड़ियाघरों में जानवरों को मारना कोई नई बात नहीं है। 2014 में डेनमार्क के कोपेनहेगन चिड़ियाघर ने एक स्वस्थ जिराफ को बच्चों के सामने मारकर शेरों को खिला दिया था। तब भी लोगों ने इसका जमकर विरोध किया था।