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नए संसद भवन के उद्घाटन पर विवाद : कांग्रेस समेत 19 पार्टियों ने किया बायकॉट का ऐलान; बयान जारी कर बताई वजह

नई दिल्ली। देश के नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर लगातार सियासी बवाल मचा हुआ है। 19 विपक्षी पार्टियों ने 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। सभी ने एक संयुक्त बयान जारी किया है। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे पहले ही कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से करवाने की मांग कर चुके हैं। संसद के नए भवन का उद्घाटन पीएम मोदी 28 मई को करेंगे।

इन 19 पार्टियों ने किया बहिष्कार

  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  • द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके)
  • आम आदमी पार्टी
  • शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)
  • समाजवादी पार्टी
  • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई)
  • झारखंड मुक्ति मोर्चा
  • केरल कांग्रेस (मणि)
  • विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची
  • राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी)
  • तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी)
  • जनता दल (यूनाइटेड) (जेडीयू)
  • राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी)
  • भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीआईएम)
  • राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी)
  • इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग
  • नेशनल कांफ्रेंस
  • रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी
  • मारुमलार्थी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके)

बायकॉट की बताई वजह

सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है और निरंकुश तरीके से नई संसद का निर्माण किया गया। इसके बावजूद हम इस महत्वपूर्ण अवसर पर अपने मतभेदों को दूर करने को तैयार थे। लेकिन जिस तरह से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए नई संसद बिल्डिंग का उद्घाटन प्रधानमंत्री से कराने का निर्णय लिया गया है। वह राष्ट्रपति पद का न केवल अपमान है, बल्कि लोकतंत्र पर सीधा हमला है।

राष्ट्रपति को न बुलाने पर विपक्ष ने ऐसे घेरा

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा था- नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति जी को ही करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं!

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट कर कहा- पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नए संसद भवन के शिलान्यास के मौके पर आमंत्रित नहीं किया गया, ना ही अब राष्ट्रपति मुर्मू को उद्घाटन के मौके पर आमंत्रित किया गया है। केवल राष्ट्रपति ही सरकार, विपक्ष और नागरिकों का प्रतिनिधित्व करती हैं। वो भारत की प्रथम नागरिक हैं। नए संसद भवन का उनके (राष्ट्रपति) द्वारा उद्घाटन सरकार के लोकतांत्रिक मूल्य और संवैधानिक मर्यादा को प्रदर्शित करेगा।

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