
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले के बाद पूरे देश में पाकिस्तान के प्रति गुस्सा और आक्रोश का माहौल है। सरकार ने आतंकवाद को लेकर कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इसी बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत का भी इस मुद्दे पर बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि अत्याचार करने वालों को सबक सिखाना हमारा धर्म है और बुराई के खिलाफ खड़ा होना ही सच्ची अहिंसा है।
रावण वध अहिंसा का उदाहरण था
मोहन भागवत ने अपने बयान में कहा, “रावण का वध उसके कल्याण के लिए ही हुआ। भगवान ने उसका संहार किया, यह हिंसा नहीं बल्कि अहिंसा है। अहिंसा हमारा धर्म है, लेकिन अत्याचारियों को रोकना भी अहिंसा का ही स्वरूप है। हम अपने पड़ोसियों का नुकसान नहीं चाहते, लेकिन अगर कोई बार-बार गलत रास्ता अपनाता है तो राजा का कर्तव्य बनता है कि वह प्रजा की रक्षा करे।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि धर्म का पालन करते हुए आवश्यकता पड़ने पर शक्तिप्रयोग करना उचित है।
यह धर्म और अधर्म के बीच की लड़ाई
हमले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मोहन भागवत ने कहा, “यह हमला हमें याद दिलाता है कि यह संघर्ष धर्म और अधर्म के बीच है। आतंकवादियों ने लोगों से उनका धर्म पूछकर उनकी हत्या की, जो निंदनीय है। हिंदू संस्कृति में नफरत और दुश्मनी के लिए कोई स्थान नहीं है। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि अत्याचार चुपचाप सह लिया जाए। दर्द और आक्रोश दोनों हमारे भीतर हैं। बुराई को समाप्त करने के लिए हमें अपनी ताकत का प्रदर्शन करना होगा।”
रावण को भी सुधरने का मौका दिया गया था
भागवत ने अपने उद्बोधन में रामायण का उदाहरण देते हुए कहा, “रावण को भी सुधरने का अवसर दिया गया था। लेकिन जब उसने हठ नहीं छोड़ी, तब राम ने उसका वध किया। युद्ध अंतिम विकल्प था। यही संदेश आज भी प्रासंगिक है कि पहले सुधार का मौका दिया जाए, लेकिन अगर अत्याचारी नहीं सुधरे तो कड़ा कदम उठाना धर्म का कर्तव्य बन जाता है।”
सच्ची अहिंसा ताकतवर बनकर ही संभव
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि सच्ची अहिंसा वही कर सकता है जो ताकतवर हो। अगर ताकत नहीं है तो अहिंसा केवल मजबूरी बन जाती है। लेकिन जब ताकत है तो जरूरत पड़ने पर उसका उचित प्रदर्शन भी आवश्यक है। हमें एक सशक्त और प्रभावी प्रतिक्रिया की उम्मीद है।