अशोक गौतम
भोपाल। नगरीय निकाय के निर्माण कार्यों में पंचायत मॉडल लागू हो गया है। निकायों में सड़क, पुल-पुलिया, नाला सहित अन्य निर्माण कार्यों की अब जियो टैगिंग होगी। इसमें निर्माण कार्य की लाइव फोटो, निर्माण लागत, लंबाई और ठेकेदार का नाम सहित अन्य डिटेल होगी। निर्माण के दौरान ही रख-रखाव की गारंटी 3 वर्ष के लिए उसी ठेकेदार को दी जाएगी। इससे निकाय के अधिकारी कर्मचारी इनके निर्माण कार्यों में हेराफेरी नहीं कर पाएंगे। जियो टैगिंग से सड़कों की प्रॉपर मॉनिटरिंग भी होगी। वर्तमान में शहरों में सड़कें नेताओं की सिफारिश से बनाई जाती हैं। अब इंजीनियरों की समिति तय करेंगी, उसकी रिपोर्ट बनाई जाएगी। उसमें यह तय होगा कि यह सड़क कब बनी थी, अब क्यों बनाई जा रही है और इससे कितने लोगों का आवागमन है। इससे किस तरह के वाहन गुजरते हैं। वाहनों के अनुसार सड़कों की डीपीआर तैयार होगी।
एक ही सड़क पर बार-बार नहीं कर पाएंगे खर्च
इस व्यवस्था से एक ही सड़क को बनाने बार बार लाखों रुपए खर्च नहीं कर सकेंगे। निकायोें की सड़कें आम तौर पर दो सौ मीटर से लेकर 1 किलोमीटर तक होती हैं। इनका कोई नाम नहीं होता है। जियो टैगिंग से इनके लोकेशन की पहचान हो जाएगी। आम तौर पर कई बार एक सड़क मामूली गड्ढा होने पर कई बार बन जाती है। लेकिन कई सड़कें ऐसी हैं जो सालों से उखड़ी पड़ी हैं, पर उन्हें कोई नहीं बनाता। इससे ये परेशानी दूर हो जाएगी।
भारी वाहनों की एंट्री बंद रहेगी
भारी वाहनों को कॉलोनी के अंदर रोकने की व्यवस्था होगी। क्योंकि तीन वर्ष तक उक्त सड़क के रख-रखाव का जिम्मा ठेकेदार पर होगा। इससे अगर सड़क धंसती है अथवा नाली टूटती है तो उसे इसको दुरुस्त करना होगा।
रिपोर्ट बुलाई : नगरीय विकास विभाग ने सड़कों की वर्तमान रिपोर्ट बुलाई है। निकायों से पूछा है कि कितनी सड़कें खराब हुई हैं, कितना खर्च होगा। । इसके निर्मार्ण में कितनी राशि खर्च होगी। वहीं कितनी सड़कों को नए सिरे से निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। जिससे निकायों को इसके लिए शासन से राशि जारी की जा सके।
पहले डामर की सड़क, फिर सीमेंट की बनाई, अब भी गड्ढे
भोपाल में बीमा कुंज के सामने सर्वधर्म सी सेक्टर की ओर जाने वाली सड़क का करीब 300 मीटर का हिस्सा पूरी तरह खराब है। यह सीसी सड़क तीन साल पहले बनी थी। इससे पहले यहां डामर सड़क थी। वहीं, एक रहवासी रमेश भाटी कहते हैं कि मेरे घर के सामने की रोड वर्षों से क्षतिग्रस्त है। कई बार जनप्रतिनिधियों से कहा लेकिन सड़क नहीं बनाई जा रही।
आनलाइन देख सकेंगे, सड़क कब बनी थी
सड़कों की गुणवत्ता और गारंटी पीरियड तय होगा। सभी निर्माण कार्यों की जियो टैगिंग होगी। इससे यह आॅनलाइन देखा जा सकेगा कि इसके पहले उक्त सड़क कब बनी थी। इसके अलावा निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर निगरानी रखने के लिए इंजीनियरों की समिति बनेगी।
संकेत भोंडवे, आयुक्त, नगरीय विकास एवं आवास विभाग