Manisha Dhanwani
14 Dec 2025
Hemant Nagle
14 Dec 2025
प्रवीण श्रीवास्तव, भोपाल। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) के अनुसार, प्रदेश में 72 शिशु एनिमिया से ग्रसित थे। वहीं आधी महिलाएं (54.7 फीसदी) भी खून की कमी से जूझ रही थीं। हालांकि अब यह तस्वीर अब बदल सकती है। दरअसल, एनीमिया को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार द्वारा किए गए निरंतर और लक्षित प्रयासों का असर अब जमीन पर साफ दिखाई देने लगा है। भारत सरकार की एनीमिया मुक्त भारत इंडेक्स रिपोर्ट 2025-26 के अनुसार, मध्य प्रदेश ने लगातार दूसरी तिमाही में देश में पहला स्थान हासिल किया है।

मध्य प्रदेश ने 91.7 प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया। वहीं 90.4 प्रतिशत के साथ आंध्र प्रदेश दूसरे और 90.0 प्रतिशत के साथ हरियाणा तीसरे स्थान पर रहा। मालूम हो कि प्रदेश को एनीमिया मुक्त बनाने के लिए 2018 में अभियान शुरू किया गया था। इसके तहत 5 से 59 माह के बच्चों और गर्भवती महिलाओं की निरंतर जांच, दवा वितरण और फॉलोअप किया जाता है।
दस्तक अभियान के प्रथम चरण 22 जुलाई से 16 सितंबर तक 6 माह से 59 माह तक के 70.62 लाख बच्चों में हीमोग्लोबिन की जांच की गई। इसके बाद 35.21 लाख अल्प एवं मध्यम एनीमिक बच्चों का इलाज हुआ। 3,575 गंभीर पीड़ित बच्चों को ब्लड चढ़ाया गया। 9.42 लाख गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की जांच की गई, जिसमें सें 3.02 लाख गंभीर महिलाओं को आईएफए आयरन सुक्रोस के साथ ब्लड दिया गया।