Naresh Bhagoria
7 Dec 2025
ग्वालियर। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चल रहे Wildlife Conservation प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा है। आगरा-मुंबई नेशनल हाईवे (शिवपुरी लिंक रोड) पर घाटीगांव के सिमरिया मोड़ के पास कूनो से भटके दो चीतों में से एक की सड़क हादसे में मौत हो गई। जंगल से बाहर निकलकर जैसे ही चीता सड़क पर पहुंचा, एक तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने उसे कुचल दिया। दूसरा चीता हादसे के बाद जंगल की ओर भाग गया, जिसकी तलाश वन विभाग की टीमें कर रही हैं।
जानकारी के मुताबिक, रविवार सुबह करीब 5 से 6 बजे के बीच कूनो जंगल से निकले दो युवा चीते घाटीगांव इलाके में देखे गए। तड़के दोनों आगरा-मुंबई नेशनल हाईवे के पास पहुंचे। सड़क क्रॉस करते समय एक तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने एक चीते को इतनी भीषण टक्कर मारी कि उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया। मृत चीते का नाम KG-3 (मादा) बताया जा रहा है, जो कूनो में जन्मा ‘गामिनी’ का शावक था।
हादसा घाटीगांव सिमरिया मोड़ पर हुआ, जिसे हाईवे का सबसे व्यस्त हिस्सा माना जाता है। टक्कर इतनी तेज थी कि चीता कुछ मीटर दूर जाकर गिरा और वहीं उसकी मौत हो गई।
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कूनो के सभी चीतों पर सैटेलाइट कॉलर आईडी लगी हुई है। जैसे ही चीते की मूवमेंट अचानक रुकी, मॉनिटरिंग सिस्टम ने अलर्ट भेजा। वन अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक चीते की मौत हो चुकी थी।
हादसे के बाद लोगों की भीड़ जमा हो गई थी, लेकिन वन विभाग ने पूरे क्षेत्र को तुरंत सुरक्षित किया। अफसरों ने पुलिस को भी निर्धारित सीमा से आगे नहीं आने दिया, ताकि सबूत सुरक्षित रहें और पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया बाधित न हो।
शनिवार शाम दोनों चीते सिमरिया इलाके में एक गाय पर हमला कर चुके थे। तब से ही वन विभाग उनकी मूवमेंट मॉनिटर कर रहा था, लेकिन वे हाईवे की ओर निकल गए।
मृत चीते के शव को कूनो नेशनल पार्क भेजा गया है, जहां विशेषज्ञों का एक पैनल पोस्टमॉर्टम करेगा। इसमें कॉलर डेटा और पैथोलॉजी रिपोर्ट के आधार पर मौत के सटीक कारणों की जांच की जाएगी।
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चीतों को भारत में 70 साल बाद अफ्रीका से लाकर बसाया गया है। ये राष्ट्रीय धरोहर माने जाते हैं और देश के सबसे बड़े संरक्षण अभियान का हिस्सा हैं। ऐसे में उनका जंगल से बाहर निकलना और सड़क हादसे में मौत होना प्रोजेक्ट की सुरक्षा, बाड़ेबंदी और मॉनिटरिंग सिस्टम की कमियों को उजागर करता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि, हाईवे क्रॉसिंग पर अंडरपास और सुरक्षा दीवारें जरूरी हैं। चीतों की मूवमेंट को रोकने के लिए बफर जोन को मजबूत किया जाए। आसपास के गांवों को और सतर्क किया जाना चाहिए।