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कोलकाता। कोलकाता के साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज में 25 जून की रात सामने आए गैंगरेप मामले ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। पीड़िता की मेडिकल जांच रिपोर्ट में रेप की पुष्टि हो चुकी है। इसके साथ ही पीड़ित के साथ जबरदस्ती करने, शरीर पर काटने और नाखून से खरोंचने के निशान मिले हैं। तीनों आरोपी युवकों को कोर्ट ने 1 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। घटना की गंभीरता को देखते हुए राजनीतिक दलों से लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग तक ने मामले पर सख्त रुख अपनाया है।
फर्स्ट ईयर की एक छात्रा ने शिकायत में बताया कि 25 जून को शाम 7:30 बजे से रात 10:50 बजे तक कॉलेज कैंपस के भीतर बने एक पुराने गार्ड रूम में तीन युवकों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसे बेरहमी से पीटा गया, शरीर पर काटने और नाखूनों से खरोंचने के निशान मिले।
घटना के बाद आरोपियों ने उसे यूनियन रूम में बंद कर दिया और धमकी दी कि अगर उसने किसी से कुछ कहा तो वीडियो वायरल कर देंगे। पीड़िता को सांस लेने में तकलीफ हुई तो उसने इनहेलर मांगा, जो आरोपी मेडिकल स्टोर से लाए लेकिन उसे अस्पताल नहीं ले गए।
मनोजीत मिश्रा (31): मुख्य आरोपी, लॉ कॉलेज का पूर्व छात्र और वर्तमान में अलीपुर कोर्ट में प्रैक्टिसिंग क्रिमिनल लॉयर है। टीएमसी छात्र परिषद (TMCP) से भी जुड़ा रहा है।
जैब अहमद (19): कॉलेज का मौजूदा छात्र
प्रमित मुखर्जी (20): कॉलेज का दूसरा छात्र
पुलिस के अनुसार, मनोजीत ने रेप किया जबकि अन्य दो ने मदद की और बाहर पहरा देते रहे। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार, यदि सामूहिक बलात्कार में कोई व्यक्ति मदद करता है या उसका साझा इरादा होता है, तो वह भी बराबर का दोषी माना जाता है।
पुलिस द्वारा कराई गई मेडिकल जांच में निम्न तथ्यों की पुष्टि हुई:
पीड़िता ने आरोप लगाया है कि आरोपियों ने रेप का वीडियो भी बनाया और उसे इंटरनेट पर डालने की धमकी दी। आरोपियों के मोबाइल जब्त कर फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे गए हैं।
राज्य की महिला और बाल विकास मंत्री शशि पांजा ने बताया कि शिकायत मिलने के 12 घंटे के भीतर सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस मामले को बहुत गंभीरता से ले रही है और इसमें कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।
BJP का आरोप: बीजेपी नेता अमित मालवीय और प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने इस घटना के लिए ममता सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपी टीएमसी से जुड़ा है और राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।
TMC का जवाब: TMC के छात्र संगठन प्रमुख तृणकुर भट्टाचार्य ने स्वीकार किया कि आरोपी छात्र पहले यूनियन से जुड़ा था, लेकिन अभी उसका कोई सक्रिय संबंध नहीं है। मंत्री शशि पांजा ने कहा कि कानून सभी के लिए समान है, चाहे वो किसी भी पार्टी से जुड़ा हो।
घटना के विरोध में भाजपा युवा मोर्चा ने कसबा थाने के बाहर प्रदर्शन किया और टायर जलाए। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प की स्थिति बनी, जिसके बाद पुलिस को हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा और कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया।
तीनों आरोपियों को कोर्ट ने चार दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा है। वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए तीन दिन के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
फिलहाल पीड़िता का अस्पताल में इलाज जारी है। वह गहरे मानसिक और शारीरिक आघात में है। परिवार ने घटना पर चुप्पी साध रखी है और इंसाफ की मांग की है।
यह मामला साल भर के भीतर कोलकाता में दूसरा ऐसा मामला है जिसने पूरे देश को हिला दिया है। इससे पहले अगस्त 2024 में आरजी कर मेडिकल कॉलेज की ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर हुआ था, जिसमें दोषी को उम्रकैद की सजा हुई थी।
9 अगस्त 2024: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात एक ट्रेनी डॉक्टर का शव सेमिनार हॉल से बरामद हुआ।
10 अगस्त 2024: सीसीटीवी फुटेज और जांच के आधार पर कोलकाता पुलिस ने सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को गिरफ्तार किया।
12 अगस्त 2024: मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल संदीप घोष ने भारी विरोध और दबाव के चलते अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
13 अगस्त 2024: कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले की जांच कोलकाता पुलिस से हटाकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी।
15 अगस्त 2024: गुस्साई भीड़ ने आरजी कर अस्पताल परिसर में घुसकर तोड़फोड़ की और प्रदर्शन किया।
18 अगस्त 2024: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया और 20 अगस्त को सुनवाई तय की।
20 अगस्त 2024: सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार और कोलकाता पुलिस से मामले की स्टेटस रिपोर्ट मांगी।
21 अगस्त 2024: केंद्र सरकार ने आरजी कर अस्पताल की सुरक्षा का जिम्मा CISF को सौंप दिया।
24 अगस्त 2024: मुख्य आरोपी संजय रॉय और पांच अन्य लोगों का लाई डिटेक्शन टेस्ट कराया गया।
25 अगस्त 2024: CBI ने पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और अन्य 14 लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की।
14–15 सितंबर 2024: CBI ने पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी को गिरफ्तार किया।
5 अक्टूबर 2024: 9 अगस्त से विरोध कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने भूख हड़ताल शुरू की।
7 अक्टूबर 2024: CBI ने मुख्य आरोपी संजय रॉय के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
21 अक्टूबर 2024: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद जूनियर डॉक्टरों ने 42 दिन बाद भूख हड़ताल खत्म की।
13 दिसंबर 2024: पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और कोलकाता पुलिस अधिकारी को जमानत मिल गई।
9 जनवरी 2025: मामले की सुनवाई पूरी हुई, इस दौरान कुल 50 गवाहों से पूछताछ की गई।
18 जनवरी 2025: सियालदह कोर्ट ने मुख्य आरोपी संजय रॉय को बलात्कार और हत्या का दोषी करार दिया।