जबलपुरमध्य प्रदेश

जबलपुर: आदिवासियों के गढ़ में आज भाजपा और कांग्रेस में खींचतान, जानिए दोनों पार्टियों की रणनीति और कार्यक्रम

2018 के चुनाव में आदिवासी बहुल की आधी सीटें भाजपा के हाथ से फिसल गई थीं, कांग्रेस ने लगाई थी दोगुनी छलांग

भोपाल। मध्य प्रदेश में साल 2023 में विधानसभा चुनाव हैं, मगर सियासी गोटियां 2 साल पहले से ही बिछानी शुरू हो गई हैं। राज्य की प्रमुख पार्टियां भाजपा और कांग्रेस की नजरें आदिवासी वोट बैंक पर हैं। दोनों ही पार्टियां आदिवासी वोटों को अपने पाले में लाने की कोशिशों में जुटी हैं। क्योंकि 2018 में जो सत्ता परिवर्तन हुआ, उसकी बड़ी वजह आदिवासी सीटों के परिणाम में बड़ा उलटफेर था। भाजपा के हाथ आधी सीटें ही लगी थीं, जबकि कांग्रेस ने दोगुनी बढ़त बनाई थी।

दरअसल, जबलपुर यानी महाकौशल इलाका आदिवासियों का गढ़ माना जाता है। यहां 38 विधानसभा सीटों पर आदिवासी समाज ही जीत-हार तय करता है। ऐसे में आदिवासी वोट पाने के लिए महाकौशल में राजनीतिक दलों को पैठ बनाना जरूरी माना जाता है। महाकौशल में जबलपुर, कटनी, डिंडौरी, मंडला, नरसिंहपुर, बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा, शहडोल, अनूपपुर जिले आदिवासी बहुल हैं। यही वजह है कि शनिवार को दोनों पार्टियां जबलपुर में अपनी-अपनी ताकत दिखाने में जुटी हैं।

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भाजपा: शाह के जरिए आदिवासी वोट बैंक को साधने पर नजर

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज जबलपुर पहुंच गए हैं। वे वहां गोंडवाना राजा शंकर शाह और उनके बेटे कुंवर रघुनाथ शाह की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण करेंगे और बलिदान दिवस कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके साथ ही उज्ज्वला योजना 2.0 की शुरुआत करेंगे। आज ही के दिन राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह ने आजादी की लड़ाई में अपना बलिदान दिया था। आदिवासी समाज में राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के प्रति बेहद सम्मान है। ऐसे में भाजपा की नजर आदिवासी वोट बैंक को साधने पर रहेगी। भाजपा की तरफ से यहां के सांसद राकेश सिंह और अजय विश्नोई, जालम सिंह, प्रह्लाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, अंचल सोनकर और अशोक रोहणी की गहरी पैठ है।

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कांग्रेस: बलिदान दिवस पर दिग्विजय समेत बड़े नेताओं का जमावड़ा

बलिदान दिवस कांग्रेस ने भी भाजपा के कार्यक्रम को टक्कर देने की योजना बनाई है। कांग्रेस आज जबलपुर में बाइक रैली और अन्य आयोजन करेगी। कांग्रेस नेता शाम 4 बजे एक होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। इसमें पार्टी के कई बड़े नेता इन कार्यक्रमों में शामिल होंगे। राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया समेत प्रदेश के अन्य आदिवासी नेता और पार्टी के आदिवासी विधायक पहुंच गए हैं। महाकौशल में कांग्रेस की तरफ से कमलनाथ बड़े नेता माने जाते हैं।

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मध्य प्रदेश में 84 सीटों पर आदिवासी समाज का खासा प्रभाव

प्रदेश में 230 में से 84 विधानसभा सीटों पर आदिवासियों का खासा प्रभाव है। 2018 में भाजपा 32 से घटकर 16 सीटों पर आ गई थीं। वहीं, कांग्रेस 14 से सीधे 29 तक पहुंच गई थी। प्रदेश में आदिवासी समाज के लिए सुरक्षित 47 विधानसभा सीटें हैं। इसके अलावा, 37 सामान्य सीटें ऐसी हैं, जहां आदिवासी समाज ही निर्णायक भूमिका में हैं।

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