Aakash Waghmare
12 Dec 2025
अशोक गौतम
भोपाल। दस साल से बन रहे इटारसी-बैतूल नेशनल हाईवे (एनएच-46) का निर्माण अब भी अधूरा है। इसके चलते जहां 73 किमी फोर लेन बनाने की लागत 589 करोड़ थी, वह अब अकेले 21 किमी का पैच बनाने में 500 करोड़ हो गई है। अगर दो वर्ष तक नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड (एनबीडब्ल्यूएल) और जबलपुर हाईकोर्ट से निर्माण मंजूरी नहीं मिली, तो यह लागत और बढ़ सकती है। निर्माण पूरा नहीं होने से यहां हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है। इस पैच को पार करने में वाहन चालकों को 15 की जगह 50 मिनट का समय लगता है। एनएच-46 की डीपीआर वर्ष 2012-13 में बनाई गई थी। इस मार्ग का करीब 21 किमी का हिस्सा फॉरेस्ट एरिया में है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने रोड बनाने की शुरुआत वर्ष 2014-15 में की थी।
बैतूल के एक एक्टिविस्ट ने एनबीडब्ल्यूएल में शिकायत कर केसला, भौंरा और बरेठा क्षेत्र टाइगर कॉरिडोर होने की शिकायत की थी। इसकी अनुमति वाइल्ड लाइफ बोर्ड से नहीं ली गई। लिहाजा वन विभाग ने रोड के निर्माण पर रोक लगा दी। इसी आधार पर कुछ एक्टिविस्ट्स ने हाईकोर्ट जबलपुर में पीआईएल लगा दी। अब एनबीडब्ल्यूएल ने एनएचएआई को कुछ कंडीशन लगाते हुए वाइल्ड लाइफ अंडर पास बनाने के साथ रोड चौड़ीकरण की अनुमति दी है। इसका डीपीआर भी बुलाया है, एनएचएआई ने एनडब्ल्यूबी को डीपीआर एप्रूवल के लिए भेजा है। स्वीकृति मिलने के बाद एनएचएआई इसे हाईकोर्ट के समक्ष रखेगा।
-एनएचएआई केसला, भौंरा और बरेठा रेंज में एनिमल अंडर पास बनाएगा।
-केसला में 1.2 किमी के क्षेत्र में अंडर पास, भौंरा और बरेठा में 5-5 सौ मीटर के अंडर पास बनाए जाएंगे।
-यह पूरी तरह से साउंड प्रूफ होगा, जिससे वाहनों की आवाज से वन्यजीव डिस्टरर्ब नहीं हों।
-रोड के दोनों तरफ फेंसिंग की जाएगी, इसके साथ ही रोड के किनारे घना प्लांटेशन किया जाएगा।
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पन्ना जिले के गुडलहा से मदयान मार्ग के चौड़ीकरण प्रस्ताव का एनबीडब्ल्यूएल ने अस्वीकृत कर दिया है। यह मार्ग एनएच का हिस्सा है और इसके चौड़ीकरण का काम लोक निर्माण विभाग के पास है। प्रिंस ट्रांसपोर्ट के ड्राइवर अब्दुल जब्बर ने बताया कि मैं भोपाल से एक ट्रक अनाज लेकर नेशनल हाईवे से नागपुर जा रहा था। बरेठा घाट में सकरी सड़क होने से मेरा ट्रक फंस गया, जिसे क्रेन से निकालना पड़ा।
इटारसी-बैतूल के बीच निर्माण में तमाम इश्यू आने से कुछ हिस्से का काम रुका है। हाईवे पर जाम नहीं लगे और वाहन चालकों को किसी तरह से समस्या न हो इसकी व्यवस्था स्थानीय स्तर पर की जा रही है। वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव तैयार कर एनबीडब्ल्यूएल को भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद इस पर काम शुरू हो जाएगा।
-एसके सिंह,
क्षेत्रीय अधिकारी, एनएचएआई भोपाल