
इंदौर। शुक्रवार को “ऑपरेशन घर वापसी” के दावे के बीच एक अनोखा नजारा देखने को मिला। यहां के खजराना गणेश मंदिर में मुस्लिम समाज के 20 अनुयायियों ने हिंदू धर्म अपनाया। हिंदू धर्म में शामिल होने से पहले इन सभी का वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शुद्धिकरण किया गया। इसके बाद हवन और पूजन के बीच उन्हें हिंदू धर्मी की दीक्षा दी गई। इन मुस्लिमों को हिंदू धर्म में लाने वाले संगठन का दावा है कि यह ‘घर वापसी’है।
पुलिस बोली अपनी मर्जी से किया धर्म परिवर्तन
इंदौर में हुए इश आयोजन को लेकर पुलिस का दावा है कि उसे इस संबंध में अभी तक कोई जबरदस्ती की शिकायत नहीं मिली है। स्थानीय संगठन ‘साझा संस्कृति मंच’ के अध्यक्ष सैम पावरी के मुताबिक मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2021 के प्रावधानों के मुताबिक इन लोगों ने इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाया है। इनमें से 14 महिलाएं हैं। कार्यक्रम का आयोजन करने वाली विश्व हिंदू परिषद की धर्म प्रसार इकाई के प्रांत प्रचार प्रमुख संतोष शर्मा के अनुसार इंदौर, देवास, धार समेत आसपास के निवासी इन मुस्लिमों की घर वापसी कराई गई।
धर्म के साथ नाम भी बदले
अब धर्म परिवर्तन के बाद नीलोफर शेख का नाम निकिता होगा, जबकि अक्षां शेख का नया नाम आकांक्षा हो गया है। रज्जाक सैयद अब रोहित, अंजुम शाह अब आरती, अबरार अब अभिषेक, मुबारिक अब मनीष, जमीला बी अब जमना बाई, रहमान अब हीरालाल, रईस अब राजू, रईस खान अब अर्पित, सुरैया अब पूजा, मेहरून बी अब ममता, कालू खां अब कारुलाल, रुकैय्या अब रुक्मणी, जरीना बी अब जान्हवी, जाकिर अब राहुल, रजिया अब रानी और शमीम शाह अब शानू के नाम से पहचाने जाएंगे।
जिला प्रशासन को पहले ही दे दिया हलफनामा
पावरी ने बताया कि धर्म बदलने से पहले इन सभी ने अपना हलफनामा जिला प्रशासन को दे दिया है। पावरी के मुताबिक इन सभी ने हलफनामे में लिखा है कि वे स्वेच्छा से अपना धर्म बदल रहे हैं। इंदौर के DCP अभिनय विश्वकर्मा ने पीपुल्स अपडेट से चर्चा करते हुए कहा कि उन्हें भी खजराना गणेश मंदिर में स्वैच्छिक धर्म परिवर्तन के अनुष्ठान में लोगों के शामिल होने की सूचना मिली थी, लेकिन अभी तक ऐसी कोई शिकायत नहीं आई जिसमें इन लोगों ने दबाव, प्रभाव या लालच के कारण धर्म परिवर्तन किया हो। अगर इस तरह की कोई शिकायत आएगी तो नियमों के मुताबिक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2021 को बल, धोखाधड़ी या लालच के जरिए धर्म परिवर्तन रोकने के लिए लागू किया गया था और इसका उल्लंघन करने पर 10 साल तक की जेल और 1 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।
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