Manisha Dhanwani
4 Dec 2025
Shivani Gupta
3 Dec 2025
भारत हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाता है। इसका संबंध 1971 के ऑपरेशन ट्राइडेंट से है, जब भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर हमला किया। इस साहसिक ऑपरेशन में तीन बड़े दुश्मन जहाज डूब गए और कराची के तेल डिपो में आग लग गई। खास बात यह थी कि हमारी मिसाइल बोट्स पूरी तरह सुरक्षित रही। तभी से हर साल यह दिन भारतीय नौसेना की वीरता और साहस को याद करने के लिए मनाया जाता है।
1971 में भारतीय नौसेना सिर्फ तटीय क्षेत्रों में सक्रिय ब्राउन वाटर नेवी थी। 1980-90 के दशक में स्वदेशी युद्धपोत जैसे शिवालिक, नीलगिरी फ्रिगेट और कामोर्टा ASW कॉर्वेट बेड़े में शामिल हुए। 2000s में INS विक्रमादित्य, कोलकाता क्लास और INS विक्रांत ने ताकत बढ़ाई। 2010s में INS अरिहंत और कलवरी क्लास पनडुब्बियों के शामिल होने से परमाणु क्षमता और सुरक्षा बढ़ी।

आज भारतीय नौसेना केवल देश की सीमा तक सीमित नहीं रही। यह पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में सक्रिय है, एंटी-पायरेसी ऑपरेशन, मानवीय सहायता, आपदा राहत और अंतरराष्ट्रीय नौसेनाओं के साथ अभ्यास कर रही है। अत्याधुनिक तकनीक जैसे P-8I गश्ती विमान, MQ-9B ड्रोन, MARCOS कमांडो यूनिट और AI आधारित निगरानी नेटवर्क ने इसकी ताकत और बढ़ा दी है। भविष्य में IAC-2, हाइपरसोनिक मिसाइल और नई परमाणु पनडुब्बियां बेड़े में शामिल होंगी।
भारत की 7,500 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा और व्यापार मार्गों की सुरक्षा में नौसेना का योगदान अनमोल है। 4 दिसंबर हमें यह याद दिलाता है कि भारत का समुद्र सुरक्षित है, क्योंकि हमारी नौसेना हमेशा सतर्क, सक्षम और तैयार है।