Shivani Gupta
7 Nov 2025
Mithilesh Yadav
7 Nov 2025
Naresh Bhagoria
7 Nov 2025
मनीष दीक्षित-भोपाल। कुछ दशक पहले तक बीमारू राज्य का तमगा रखने वाला मप्र अब विकास के नए आयाम जोड़ रहा है। विकास की गति ऐसी कि कई प्रगतिशील राज्य भी मप्र की गति देख कर चकित होंगे। डॉ. मोहन यादव की सरकार द्वारा मंगलवार को पेश बजट ने मप्र को बजट के आकार के मामले में देश में तीसरे स्थान पर ला कर खड़ा कर दिया है। यानि हमारे बजट से आगे केवल दो राज्य-उप्र और महाराष्ट्र के बजट ही रह गए हैं।
पीपुल्स समाचार द्वारा देश के सभी राज्यों की स्टडी में यह बात सामने आई है कि बजट के आकार में अब हम कर्नाटक, प. बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों से आगे निकल गए हैं। इस बार मप्र में 4 लाख 21 हजार करोड़ का बजट पेश किया गया है। राज्य की आर्थिक विकास की गति दूसरे राज्यों से अधिक होना इसी बात का संकेत हैं कि प्रदेश सही दिशा में जा रहा है। प्रदेश की सुदृढ़ वित्तीय व्यवस्था और कर संग्रह में बनी ग्रोथ के चलते ही मप्र चार लाख करोड़ से अधिक का बजट पेश करने वाले राज्यों के क्लब में शामिल हो गया है। यह भी संयोग ही है कि अगले वित्तीय वर्ष के दौरान आर्थिक विकास की दौड़ में जो तीन राज्य सबसे आगे दिखाई दे रहे हैं, वे भाजपा शासित राज्य हैं।
बजट का आकार बढ़ने का सीधा मतलब है कि राज्य वित्तीय स्तर पर सशक्त बन रहा है। साथ ही पुरानी योजनाओं की गति में भी सुधार आया है। योजना का आकार बढ़ने का मतलब है, विकास से जुड़े कार्य मसलनसड़क निर्माण, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल समेत मूलभूत जरूरतों पर खास ध्यान देना। यदि योजनाएं सही से चलें, तो आम लोगों को रोजगार और मूलभूत सुविधाएं आसानी से मिल सकेंगी।
वर्ष 2003-04 में दिग्विजय सिंह सरकार ने अपना अंतिम बजट पेश किया था। तब बजट मात्र 21, 647 करोड़ रुपए का था। 2013-14 में यह आंकड़ा एक लाख करोड़ से अधिक हो गया। 2025 -26 में बजट का आकार 4 लाख करोड़ से अधिक होना इस बात का संकेत है कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति में लगातार वृद्धि हो रही है। इस दौरान मध्यप्रदेश ने कर्नाटक, तमिलनाडु और प. बंगाल जैसे विकसित राज्यों को पीछे छोड़ते हुए तीसरा स्थान हासिल किया है।