Naresh Bhagoria
4 Dec 2025
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पल्लवी वाघेला
भोपाल। हम आज आपको ऐसे कपल की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अहम पदों पर रहते हुए एक-दूसरे को सपोर्ट किया और काम के साथ-साथ परिवार की गाड़ी भी समझदारी से संचालित की। सेवानिवृत्ति के बाद वे एजुकेशन अकादमी में युवाओं को सिविल सेवा में जाने की तैयारी करा रहे हैं। सेवानिवृत्त आईएएस एम. मोहन राव और उनकी पत्नी रिटायर्ड आईपीएस अरुणा मोहन राव ऐसे ही प्रेरक दंपति हैं। उन्होंने जिस संजीदगी से अपनी सेवा से जुड़ी जिम्मेदारियां निभाईं, उसी तन्मयता के साथ पारिवाहिक दायित्वों का भी पालन किया। दोनों का कहना है कि रिश्तों में इन्वेस्टमेंट जरूरी है।
अरूणा मोहन राव बताती हैं कि प्रशासनिक सेवा में चयन के बाद दोनों की मसूरी में चार माह की फाउंडेशन ट्रेनिंग थी। यहां मोहन राव के तेलुगु गीत सुनने के बाद अरुणा मोहन उन्हें बधाई देने पहुंची। यह नजदीकी धीरे-धीरे गहरा गई और 1988 में विवाह बंधन में बंध गए।
राव दंपति ने शादी के पहले ही तय कर लिया था कि चाहे आॅफिस में रुककर काम करना पड़े, पर आॅफिस का काम या बातें घर तक नहीं आएंगी। पूरी जिंदगी उन्होंने इस नियम को फॉलो किया।
अरूणा कहती हैं - बच्चे के लिए भी जिम्मेदारियां बांट ली थी। जब मैं महिला अपराध में थी तो मैंने देखा कि छोटी-छोटी बातों पर दंपति लड़ते हैं और तलाक तक चले जाते हैं। मुझे लगता है कि रिश्तों में इन्वेस्ट करना बहुत जरूरी है।