Aniruddh Singh
12 Sep 2025
प्रवीण श्रीवास्तव
भोपाल। शाहपुरा निवासी रोहित कुमार (परिवर्तित नाम) की छह महीने पहले ही शादी हुई। सोनम हत्याकांड मामले के बाद रोहित ने पत्नी से अपने संबंधों में पारदर्शिता रखने के लिए एक दूसरे से अपने पूर्व प्रेम संबंधों की बात बताने की बात कही। रोहित ने अपने संबंधों की जानकारी भी पत्नी को दे दी। साथ ही पत्नी से भी कहा कि वह भी अपने सारे राज बताए। शुरुआत में तो पत्नी ने रोहित की बात नहीं मानी, लेकिन बाद में पूर्व प्रेम-प्रसंग के बारे में बता दिया। सारी बातें जानने के बाद रोहित ने नाराज होकर पत्नी से पूर्व प्रेमी पर रेप का केस दर्ज करवा दिया। रेप केस होने के बाद रोहित ने पत्नी को भी तलाक दे दिया। जेपी अस्पताल के मन कक्ष में बीते चार महीने में ऐसे 10 मामले पहुंच चुके हैं।
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गांधी मेडिकल कॉलेज की मनोचिकित्सक डॉ. रुचि सोनी बताती है कि इस तरह के मामलों में कलेक्टिव ट्रॉमा और फियर काम करता है। जब कोई बड़ी घटना या आपदा किसी एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि पूरी कम्युनिटी को गहराई से प्रभावित करती है। इसका डर पूरे समाज में फैल जाता है। प्राकृतिक आपदा, दंगे या कोई वीभत्स अपराधों के बाद इस तरह के फियर काम करते हें।
विशेषज्ञों के मुताबिक 2008 में आरुषि हत्याकांड के बाद पूरे देश में बच्चों में भी कलेक्टिव फियर जैसे मामले सामने आए थे। कई बच्चों ने अपने माता-पिता से बात करना कम दिया था। वे उनसे पूछते थे कि कहीं आप हमें मार तो नहीं दोगे। उस दौरान भी कई बच्चों की काउंसलिंग भी की गई थी।
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खुला संवाद : छोटी-छोटी बातों को छुपाने की बजाय साफ कहें।
सम्मान और बराबरी : एक-दूसरे को नीचा दिखाने या तुम कभी सही नहीं जैसे शब्दों से बचें।
गुस्से पर नियंत्रण : झगड़े की स्थिति में अगर बात बिगड़ रही हो तो थोड़ी देर के लिए पॉज लें।
विश्वास और पारदर्शिता : सोशल मीडिया, दोस्तों, पैसों या काम को लेकर बेवजह छुपाने से अविश्वास बढ़ता है।
सकारात्मक समय : सिर्फ घर के काम या जिम्मेदारियों में नहीं, बल्कि रिलेशन में भी समय निवेश करें।
मदद लें: झगड़े बढ़ रहे हों तो फैमिली काउंसलर या थैरेपिस्ट की मदद लेना शर्म की बात नहीं।
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बीते तीन-चार महीनों से इस तरह के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसके पीछे कलेक्टिव फियर के साथ व्यक्तिगत अवचेतन भी काम करता है। किसी घटना के बाद मन में डर बैठ जाता है। यह घटना बचपन में हुई भी हो सकती है या हाल में। इस स्थिति से बचने के लिए पति-पत्नी को एक दूसरे पर भरोसे के साथ मनोचिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए।
-डॉ. राहुल शर्मा, क्लीनिकल मनोचिकित्सक, जेपी अस्पताल