राष्ट्रीय

दो साल पहले कैसे थम गया था पूरा देश, जानें पहले लॉकडाउन का वो डराने वाला मंजर

देशभर में दो साल पहले आज ही के दिन यानी कि 24 मार्च 2020 को कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन लगा दिया गया था। इस घातक वायरस से लाखों लोगों की जान चली गई। बता दें कि ये वायरस सबसे पहले चीन के वुहान शहर में मिला था, जिसके बाद इसने तेजी से दुनियाभर में अपने पैर पसारे। देखते ही देखते कोरोना वायरस ने पूरे विश्व को अपने आगोश में ले लिया।

पहला लॉकडाउन कब लगा था ?

पहली लहर की शुरुआत 3 मार्च 2020 से हुई थी और 16 सितंबर 2020 को पीक पर पहुंच गई थी। यानी इस लहर को पीक पर पहुंचने में करीब 200 दिन का समय लग गया। कोरोना की पहली लहर में सबसे ज्यादा पलायन हुआ। इस लहर में दूसरी लहर के मुकाबले मौतें कम हुईं लेकिन लोगों के सामने रोजगार का बड़ा संकट खड़ा हो गया। न जाने कितने ही लोग परिवार के साथ बोरिया बिस्तर समेटकर पैदल ही सड़कों पर निकल पड़े।

दूसरी लहर ने मचाई तबाही

अप्रैल और मई 2021 में दूसरी लहर ने पूरे देश को हिलाकर रखा दिया। इस दौरान प्रतिबंध लगाए गए लेकिन कुछ छूट भी दी गईं, जिससे आर्थिक गतिविधियां चलती रहें। इसका पीक अगस्त में ही आ गया। बता दें कि इस लहर में संक्रमण दर सबसे ज्यादा थी और सबसे ज्यादा मौतें भी दूसरी लहर में ही हुई है। पहली लहर जहां शहरों में ही तबाही मचा रही थी, वहीं दूसरी लहर में गांवों में भी बड़ी संख्या में लोगों ने जान गंवाई।

 

तीसरी लहर की वजह बना ओमिक्रॉन

साल 2021 के आखिरी में एक नया वैरिएंट ओमिक्रॉन तीसरी लहर की वजह बना। हालांकि इस लहर में रिकवरी रेट ज्यादा थी और लोगों की मौतें भी कम हो रही थीं। बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन लग गई थीं और इसलिए अस्पातल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या बेहद कम थी। तीसरी लहर ने ये बता दिया कि अब लोग कोरोना वायरस के साथ भी जीने को तैयार हो गए हैं।

बाहर निकलने से लगता था डर!

लॉकडाउन के दौरान सड़कें वीरान हो गईं थीं। लोगों को घर के बाहर निकलने में डर लगता था। हालांकि दो साल बाद भी खतरा बरकरार है लेकिन लोगों के बीच डर लगभग पूरी तरह खत्म हो गया है। पिछले दो सालों में कोरोना की तीन लहरों ने दस्तक दी और अब चौथी लहर का अंदेशा सता रहा है।

निचले स्तर पर पहुंच गई थी GDP

जब देशव्यापी लॉकडाउन लगा था, तब हमारी GDP गर्त में पहुंच गई थी। वहीं सेंसेक्स साल के न्यूनतम स्तर पर चला गया था। बेरोजगारी और महंगाई दर चरम पर थी। लेकिन राहत की बात ये है कि हमने दो साल में ही उम्मीद से बेहतर रिकवरी हासिल कर ली है।

खत्म नहीं हुआ कोरोना

WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयियस ने कहा है कि हम सभी महामारी से आगे बढ़ना चाहते हैं। हम इसे कितना भी दूर कर लें, ये महामारी खत्म नहीं हुई है। जब तक सभी देश वैक्सीन से कवर नहीं हो जाते, तब तक हम संक्रमण के बढ़ने और नए वैरिएंट के जोखिम का सामना करना जारी रखेंगे।

पॉजिटिव इफेक्ट

3 गुना कम हुई बेरोजगारी

साल बेरोजगारी दर(%)
अप्रैल 2020 23.52%
मई 2021 11.84%
फरवरी 2022 8.1%

डिजिटल पेमेंट 4 गुना बढ़ा

साल डिजिटल दर(%)
मार्च 2020 2.06%
फरवरी 2021 8.26%

रियल स्टेट में लौटी रौनक

साल मकान बिके
2020 1.8 लाख
2021 2.05 लाख

ऑटो सेल्स में बढ़त

साल कारें बिकीं
अप्रैल 2021 2,61,333
मार्च 2022 2,62,984

गाड़ियों का पंजीकरण 26% बढ़ा

कोविड की वजह से कई महीनों तक गाड़ियों के शोरूम बंद रहे। लोग भी केवल जरूरत का सामान खरीदते दिखे। इसकी वजह से वर्ष 2020 में 2019 के मुकाबले 33.49% कम गाड़ियां बिकीं। धीरे-धीरे कोरोना का खतरा कम हुआ तो लोगों ने गाड़ियों की खरीदारी शुरू कर दी। साल 2021 में 2020 के मुकाबले 26% ज्यादा लोगों ने फोर व्हीलर और टू-व्हीलर खरीदे। गौरतलब है कि साल 2022 में अब तक 8840 गाड़ियां बिकीं हैं।

GDP में आया सुधार !

GDP अपने सबसे निचले स्तर से 30% तक सुधर चुकी है। बेरोजगारी दर भी 15% तक घट गई। सेंसेक्स सर्वोच्च स्तर को छूने के बाद अब लॉकडाउन के समय से करीब 31 हजार अंकों की बढ़त ले चुका है।

ये भी पढ़ें – कोरोना अलर्ट: भारत में आ सकती है चौथी लहर…जानें कितनी हो सकती है खतरनाक, एक्सपर्ट ने की ये भविष्यवाणी

संबंधित खबरें...

Back to top button