
उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ मामले में सूरजपाल उर्फ भोले बाबा का पहला बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि 2 जुलाई की घटना के बाद मैं बहुत दुखी हूं। भगवान हमें यह दर्द सहने की शक्ति दे। कृपया सरकार एवं प्रशासन पर विश्वास बनाए रखें। मुझे विश्वास है कि अराजकता फैलाने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। मैंने अपने वकील एपी सिंह के माध्यम से समिति के सदस्यों से शोक संतप्त परिवारों और घायलों के साथ खड़े रहने और जीवन भर उनकी मदद करने का अनुरोध किया है।
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भोले बाबा ने आगे कहा कि इसे सभी लोगों ने माना भी है। सभी इस जिम्मेदारी को निभा भी रहे हैं। सभी महामंत का सहारा ना छोड़ें। वर्तमान समय में वही माध्यम हैं, जो सभी को सद्गति और सद्बुद्धि प्राप्त होने की इच्छा रखते हैं।
चरणों की धूल लेने टूटी भीड़ और भगदड़ मची
उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई। भगदड़ मचने की असल वजह बाबा के चरणों की धूल लेने के लिए लोग टूट पड़े थे। भोले बाबा जब निकले, तो चरण रज लेने के लिए महिलाएं टूट पड़ीं। भीड़ हटाने के लिए वॉलंटियर्स ने वाटर कैनन से पानी की बौछार कर दी। बचने के लिए भीड़ इधर-उधर भागने लगी और भगदड़ मच गई। लोग फिसले और जमीन पर गिरे, फिर एक-दूसरे को रौंदते हुए निकल गए।
भोले बाबा पर यौन शोषण समेत कई गंभीर आरोप
भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है। बता दें कि वह एटा जिले की पटयाली तहसील के गांव बहादुर नगरी के रहने वाले हैं। पढ़ाई के बाद UP पुलिस में नौकरी लग गई। UP के 12 थानों के अलावा इंटेलिजेंस यूनिट में सूरज पाल की तैनाती रही। नौकरी के दौरान उसके खिलाफ यौन शोषण का मुकदमा दर्ज होने के बाद उसे पुलिस विभाग से बर्खास्त किया गया।
जेल से छूटने के बाद उसने अपना नाम नारायण हरि उर्फ साकार विश्वहरि रख लिया और प्रवचन देना शुरू किया। बाबा ने ‘सत्संग’ करना शुरू कर दिया तो लोग उसे भोले बाबा कहने लगे। सूरजपाल उर्फ भोले बाबा की कोई संतान नहीं है। सत्संग में बाबा की पत्नी भी साथ रहती हैं। बहादुर नगर में आश्रम स्थापित करने के बाद भोले बाबा की प्रसिद्धि गरीबों और वंचित वर्गों के बीच तेजी से बढ़ी और लाखों लोग अनुयायी बन गए।
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