Manisha Dhanwani
6 Dec 2025
आज महापरिनिर्वाण दिवस पर पूरा देश भारत के संविधान निर्माता और समाज सुधारक डॉ. भीमराव आंबेडकर को श्रद्धांजलि दे रहा है। बाबा साहेब ने अपने जीवन में कठिन संघर्षों का सामना किया इतना ही नहीं समानता, शिक्षा और मानव अधिकारों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया।
भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। जन्म से दलित होने के कारण उन्हें समाज में भेदभाव और अपमान का सामना करना पड़ा। स्कूल में उन्हें क्लासरूम के अंदर बैठने की अनुमति नहीं थी और पानी तक अलग से दिया जाता था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
बाबा साहेब ने कड़ी मेहनत और लगन से पढ़ाई की। उन्हें अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स जैसी दुनिया की बड़ी यूनिवर्सिटीज से डिग्री मिली। यह उस दौर में किसी भारतीय दलित के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी।
भारत की आजादी के बाद उन्हें संविधान निर्माण समिति का अध्यक्ष बनाया गया। उन्होंने ऐसा संविधान बनाया जिसमें समानता, आजादी, न्याय और भाईचारा हर नागरिक का अधिकार बना। उन्होंने छुआछूत, जातिवाद और अन्याय के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी।
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6 दिसंबर 1956 को बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने दुनिया को अलविदा कहा। अपने अंतिम समय में उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया और लाखों लोगों को भी समानता और मानवता के रास्ते पर चलने की प्रेरणा दी। महापरिनिर्वाण दिवस केवल उनके निधन का स्मरण नहीं, बल्कि उनके विचारों, संघर्ष और मानव अधिकारों के लिए किए गए महान कार्यों को याद करने का अवसर है। आज उनका संदेश हमें एकजुट होकर समान समाज बनाने की प्रेरणा देता है।
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बाबा साहेब का जीवन हमें सिखाता है। शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो। उनकी सोच आज भी हर उस व्यक्ति को प्रेरणा देती है जो सपने देखता है और उन्हें पूरा करने का साहस रखता है।