Shivani Gupta
1 Dec 2025
Manisha Dhanwani
1 Dec 2025
Shivani Gupta
30 Nov 2025
Naresh Bhagoria
30 Nov 2025
नई दिल्ली। भारत में तेजी से बढ़ते डिजिटल फ्रॉड मामलों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (CBI) को देशभर में सामने आए डिजिटल अरेस्ट मामलों की पैन इंडिया जांच करने का आदेश दिया है। अदालत ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि, वे CBI को तुरंत सहयोग दें और इस जांच में कोई प्रशासनिक बाधा न आने दें।
सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट स्कैम एक बेहद खतरनाक साइबर क्राइम है। इसमें ठग खुद को CBI, पुलिस, ED या किसी कोर्ट के अधिकारी बताकर वीडियो/ऑडियो कॉल करते हैं। वे पीड़ित, खासकर बुजुर्गों को डराते हैं कि वह किसी अपराध में फंस गया है और अब 'डिजिटल अरेस्ट' में है।
ठग पीड़ित से कहते हैं कि, किसी से बात मत करो, वीडियो कॉल पर रहो, स्क्रीन शेयर करो और पैसे "जुर्माना" समझकर ट्रांसफर करो। इसी धोखे में कई लोग करोड़ों रुपये गंवा चुके हैं।
यह कार्रवाई तब तेज हुई जब हरियाणा के अंबाला में एक बुजुर्ग दंपति से 13 दिनों में 1.05 करोड़ रुपए की ठगी हुई। ठगों ने सुप्रीम कोर्ट के जजों के फर्जी हस्ताक्षर और जांच एजेंसियों के नकली आदेश दिखाकर उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया। पीड़ितों ने CJI को चिट्ठी लिखी, जिसके बाद कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया।
CJI सूर्यकांत की बेंच ने कहा कि डिजिटल अरेस्ट एक राष्ट्रीय खतरा बन चुका है। नवंबर की पिछली सुनवाई में SC ने बताया था कि, ऐसे मामलों में अब तक ₹3,000 करोड़ की ठगी सामने आ चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने RBI को नोटिस जारी किया और पूछा कि, धोखाधड़ी में इस्तेमाल हो रहे बैंक अकाउंट तुरंत ट्रैक क्यों नहीं होते? बैंक AI और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रहे? बेंच ने कहा कि, तेज तकनीक ही तेज स्कैम को रोक सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कड़े निर्देश देते हुए कहा-
सोशल मीडिया और टेक कंपनियां सहयोग करें
Meta, Google और अन्य प्लेटफॉर्म को जरूरी डेटा CBI को देने का आदेश।
इंटरपोल की मदद लेने की अनुमति
अगर फ्रॉड विदेशी नेटवर्क से जुड़ा है तो CBI इंटरपोल से मिलकर कार्रवाई कर सकेगी।
बैंक अधिकारियों की भी जांच
CBI म्यूल अकाउंट खोलने वाले बैंक कर्मियों पर भी कार्रवाई कर सकती है। जांच भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, एक व्यक्ति या संस्था को कई SIM जारी होने की अनुमति न मिले। फर्जी पहचान पर SIM जारी होने की वजह से स्कैम फल-फूल रहे हैं।
कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कहा कि, राज्य और जिला स्तर पर साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर बनाएं। CBI और लोकल पुलिस के बीच तालमेल बढ़ाएं। साइबर यूनिट्स को बेहतर संसाधन और टेक्निकल सपोर्ट दें।
राज्य साइबर क्राइम (भोपाल) के AIG वैभव श्रीवास्तव के अनुसार, पुलिस कभी भी व्हाट्सऐप कॉल नहीं करती। पुलिस व्हाट्सऐप पर FIR की कॉपी नहीं भेजती। पुलिस पैसे की मांग नहीं करती। पुलिस किसी को कॉल पर बंदी नहीं बनाती। पुलिस कॉल के दौरान दूसरों से बातचीत रोकने को नहीं कहती।
दिल्ली पुलिस IFSO यूनिट के DCP विनीत कुमार ने कहा कि, जैसे ही साइबर फ्रॉड पता चले, तुरंत 1930 पर कॉल करें। जल्दी रिपोर्ट करने पर खातों को फ्रीज करवाया जा सकता है। दिल्ली पुलिस ने 24×7 हेल्पलाइन भी शुरू की है ताकि किसी भी समय शिकायत दर्ज की जा सके।