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शराब नीति घोटाला केस : CM केजरीवाल ने निचली अदालत के समन को सेशन कोर्ट में दी चुनौती, 16 मार्च को पेश होने का है आदेश

नई दिल्ली। शराब घोटाला केस में बार-बार ईडी के समन को इग्नोर करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब कोर्ट पहुंच गए। उन्होंने ED की शिकायत पर निचली अदालत से जारी हुए 2 समन को चुनौती देते हुए सेशन कोर्ट का रुख किया है।

एडीशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (ACMM) दिव्या मल्होत्रा के आदेशों के खिलाफ केजरीवाल ने सेशन कोर्ट का रुख किया है। जिन्होंने केजरीवाल को 16 मार्च को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया है। मजिस्ट्रेट कोर्ट में ED ने दो शिकायतें दायर की थीं, जिसमें उन्हें जारी किए गए कई समन को नजरअंदाज करने के लिए केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई थी।

ईडी ने कब-कब भेजे समन?

ईडी पूछताछ के लिए केजरीवाल को आठ समन जारी कर चुकी है।

कब भेजा समन पेश हुए या नहीं
नवंबर पहला समन पेश नहीं हुए
21 दिसंबर दूसरा समन पेश नहीं हुए
जनवरी तीसरा समन   पेश नहीं हुए
17 जनवरी चौथा समन पेश नहीं हुए
फरवरी पांचवां समन पेश नहीं हुए
14 फरवरी (19 फरवरी को बुलाया) छठवां समन पेश नहीं हुए
22 फरवरी (26 फरवरी को बुलाया) सातवां समन पेश नहीं हुए
27 फरवरी (4 मार्च को बुलाया) आठवां समन पेश नहीं हुए

कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़े थे केजरीवाल

17 फरवरी को राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को 16 मार्च तक ईडी के समन पर कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दे दी थी। अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये पेश होने के दौरान केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली विधानसभा में चल रही अविश्वास प्रस्ताव पर बहस और एक मार्च को समाप्त होने वाले बजट सत्र के कारण वह व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश नहीं हो सके। केजरीवाल ने आश्वासन दिया कि वह एक मार्च के बाद उपलब्ध रहेंगे। यह भी कहा गया कि केजरीवाल अदालत के समक्ष सुनवाई की अगली तारीख 16 मार्च को उपस्थित होंगे।

आप के दो नेता गिरफ्तार

दिल्ली की आबकारी नीति में घोटाले के आरोप लगे हैं। इस मामले में सीबीआई जांच कर रही है। वहीं, इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से ईडी जांच में जुटी है। जांच एजेंसियों ने अब तक आप के दो बड़े नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को गिरफ्तार किया है।

क्या है पूरा मामला?

दिल्ली में केजरीवाल की सरकार में डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया ने 22 मार्च 2021 को नई शराब नीति का ऐलान किया था। 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई। नई शराब नीति लागू करने के बाद सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई और शराब की पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई। नई नीति लाने के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकार का रेवेन्यू में बढ़ेगा। नई नीति से रेवेन्यू में 1500-2000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की उम्मीद जताई गई थी।

नई पॉलिसी में कहा गया था कि दिल्ली में शराब की कुल दुकानें पहले की तरह 850 ही रहेंगी। हालांकि, नई नीति शुरू से ही विवादों में रही। जब बवाल ज्यादा बढ़ गया, तब 28 जुलाई 2022 को सरकार ने नई शराब नीति रद्द कर फिर पुरानी पॉलिसी लागू कर दी। मामले में सीबीआई को जांच ट्रांसफर दी गई। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा एंगल आने पर इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की एंट्री हो गई। उसके बाद से AAP के कई सीनियर नेता और उनके करीबी सहयोगी जांच एजेंसी के निशाने पर आ गए।

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