Naresh Bhagoria
11 Nov 2025
पुष्पेंद्र सिंह, भोपाल। मंत्रालय में पीएस और एसीएस को पिछले डेढ़ माह से अतिरिक्त प्रभार मिलने को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है। यहां दिए जा रहे प्रभार दो से सात दिन के भीतर वापस लेकर किसी और को दिए जा रहे हैं। इसके चलते अफसर भी विभाग का प्रभार लेने से कतरा रहे हैं। दरअसल जिन अधिकारियों को पहले विभाग दिए गए, वे अपने विभाग की फाइलें देख पाते, इससे पहले ही उनका प्रभार बदल दिया गया।
परिवहन: गुना बस हादसा होने पर मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव सुखबीर सिंह से परिवहन वापस लेकर एसीएस डॉ.राजेश राजौरा को दे दिया। डॉ. राजौरा विभाग की फाइलों को देख पाते, इसके पहले परिवहन विभाग एसीएस एसएन मिश्रा को ट्रांसफर कर दिया ।
सहकारिता: प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव के पास सहकारिता विभाग का अतिरिक्त प्रभार था। इसे एसीएस स्मिता भारद्वाज को दिया गया। सप्ताह भर बाद फिर प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी को जिम्मेदारी दे दी। दीपाली के पास अब सहकारिता के अतिरिक्त महिला एवं बाल विकास विभाग का प्रभार रहेगा।
जनजातीय कार्य विभाग: पीएस पल्लवी गोविल के केंद्र में जाने पर विभाग का अतिरिक्त प्रभार एसीएस एसएन मिश्रा को दिया गया। इस विभाग को अब फिर पीएस ई रमेश कुमार को दे दिया गया। आयुक्त आदिवासी विकास भी मिश्रा के स्थान पर रमेश कुमार हो गए हैं।
उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण: यह विभाग अपर मुख्य सचिव जेएन कांसोटिया से लेकर प्रमुख सचिव सुखबीर सिंह को अतिरिक्त प्रभार के रूप में दिया गया लेकिन अब उनसे परिवहन के बाद लोक निर्माण विभाग भी ले लिया गया है।
नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण: विधानसभा चुनाव के पहले जल संसाधन का पीएस मनीष सिंह और एनवीडीए का उपाध्यक्ष एसीएस एसएन मिश्रा को बनाया। अब जल संसाधन और एनवीडीए दोनों एएसीएस डॉ. राजेश राजौरा को दे दिया गया है।
ऊर्जा एवं नवकरणीय: प्रमुख सचिव संजय दुबे को गृह विभाग देते हुए ऊर्जा और नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा का अतिरिक्त प्रभार मिला। सप्ताहभर भी नहीं हुआ कि ऊर्जा और नवकरणीय ऊर्जा का एसीएस मनु श्रीवास्तव को बना दिया। इन्हें अब तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार विभाग, कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग का अतिरिक्त प्रभार रहेगा।
चाहिए किसी भी अधिकारी का प्रभार जल्द-जल्द नहीं बदलना चाहिए क्योंकि अफसर प्रभार के विभाग को ठीक से समझ नहीं पाते हैं। इस अदलाबदली से विभाग का काम भी सफर करता है। प्रभारों को बार-बार बदलने से प्रशासनिक व्यवस्था भी बिगड़ती है और पब्लिक भी प्रभावित होती है। इसलिए बहुत सोच-समझकर प्रभार देना चाहिए। -केएस शर्मा, पूर्व मुख्य सचिव मप्र