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अहमदाबाद। गूगल ड्राइव पर बचपन की एक निर्वस्त्र तस्वीर अपलोड करना एक व्यक्ति को इतना भारी पड़ा कि वह एक साल से अपने ई-मेल को खोल नहीं सका है। उसे आखिरकार गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। हाई कोर्ट ने ‘स्पष्ट रूप से बाल शोषण’ (गूगल की भाषा में) के लिए याचिकाकर्ता के ई-मेल अकाउंट को ब्लॉक करने को लेकर गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को एक नोटिस जारी किया है। अदालत ने इस संबंध में गूगल, केंद्र तथा राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर उनसे 26 मार्च तक जवाब देने को कहा है।
याचिकाकर्ता ने गूगल ड्राइव पर अपनी एक तस्वीर अपलोड की थी, जिसमें उसकी दादी उसे नहलाते हुए दिख रही है। यह तस्वीर तब की है जब वह दो साल का था। पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर नील शुक्ला ने यह फोटो अपलोड की थी। नील के वकील दीपेन देसाई ने अदालत को बताया कि गूगल ने 'स्पष्ट बाल शोषण' को दिखाने वाली ऐसी सामग्री के संबंध में उसकी नीति का उल्लंघन करने के लिए पिछले साल अप्रैल में शुक्ला का अकाउंट ब्लॉक कर दिया था। उन्होंने बताया कि कंपनी का कंप्लेंट रिड्रेसल सिस्टम इस मुद्दे को हल करने में नाकाम रहा। इसके बाद नील शुक्ला ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
नील के वकील दीपेन देसाई ने अदालत को बताया कि चूंकि गूगल ने ई-मेल ब्लॉक कर दिया है तो शुक्ला अपने मेल नहीं पढ़ पा रहे हैं और इससे उन्हें कारोबार में नुकसान हुआ है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा, गूगल का कहना है कि यह स्पष्ट बाल शोषण है और उसने सब कुछ ब्लॉक कर दिया है। मैं अपने मेल नहीं पढ़ पा रहा हूं और मेरे कारोबार पर असर पड़ा है। गौरतलब है कि गूगल की यह नीति चाइल्ड ट्रैफिकिंग और चाइल्ड पोर्नोग्राफी को रोकने के लिए है।
शुक्ला ने गुजरात पुलिस और केंद्र सरकार के विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग का भी रुख किया था, लेकिन वे इस पर कार्रवाई करने में विफल रहे और उसे आखिरकार अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
याचिकाकर्ता ने इस मामले में तत्काल सुनवाई का भी अनुरोध किया क्योंकि उसे गूगल से एक नोटिस मिला है जिसमें कहा गया है कि उनका खाता एक साल से सक्रिय नहीं है जिसके कारण उससे संबंधित डेटा अप्रैल में डिलीट कर दिया जाएगा।