Shivani Gupta
18 Sep 2025
राजीव सोनी, भोपाल। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले आरएसएस की सबसे महत्वपूर्ण छोटी टोली की तीन दिनी चिंतन बैठक 6 से 8 फरवरी तक उज्जैन में बुलाई गई है। इसमें समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के ड्राफ्ट पर विचार मंथन महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ड्राफ्ट के सभी पक्षों पर चर्चा के बाद इसे सबसे पहले भाजपा शासित राज्यों में लागू किए जाने का प्लान है। मध्यप्रदेश और उत्तराखंड सहित कई राज्य अपनी ओर से इसका ऐलान भी कर चुके हैं। बैठक में संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत सहित सभी 9 दिग्गज पदाधिकारी यूसीसी पर विमर्श करेंगे। इस कानून से विभिन्न धर्मों और जनजातियों के वैवाहिक रीतिरिवाजों पर पड़ने वाले असर से लेकर उसके मुख्य फैक्टर्स व संविधान सभा के अभिमत पर भी विचार-विमर्श होगा।
यह पहला मौका है जब संघ प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी में भैयाजी जोशी, सुरेश सोनी सहित सर कार्यवाह दत्तात्रय होसबाले और पांचों सह सरकार्यवाह अरुण कुमार, रामदत्त चक्रधर, डॉ. कृष्ण गोपाल, डॉ. मनमोहन वैद्य और मुकुंदा इस पर उज्जैन में मंथन करेंगे।
यूसीसी के मुख्य अवयवों में विवाह, तलाक, गुजारा-भत्ता, उत्तराधिकार और दत्तक ग्रहण बताए गए हैं। इसके पक्ष में 10 पाइंट्स के जरिए यह भी बताया जाएगा कि यह कानून पूरी तरह संविधान के अनुरूप क्यों है।
11 मई 1962 राज्यसभा सदस्य सीता परमानंद ने निजी विधेयक 'देश के लिए समान नागरिक संहिता' पेश किया। इसके बाद 1968 में विधि मंत्री हंसराज भारद्वाज ने सरकार के प्रयासों का जिक्र किया। 1993 में भाजपा सांसद सुमित्रा महाजन ने बिल पेश किया। मीणा जनजाति के नेता डॉ किरोड़ीलाल मीणा ने भी 2022 में इसके पक्ष में निजी बिल पेश किया।