Manisha Dhanwani
20 Oct 2025
Mithilesh Yadav
20 Oct 2025
रवीन्द्र मिश्र, नई दिल्ली। बिहार के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी की साख दांव पर है। क्योंकि, इस चुनाव में न तो सोनिया गांधी कोई महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और न ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे। ऐसे में टिकट बंटवारे से लेकर रैलियां या फिर सभाएं आदि सभी राहुल के कंधों पर हैं। वहीं महागठबंधन में कांग्रेस का यह चुनाव भी राहुल के चेहरे पर ही लड़ा जा रहा है।
देखा जाए तो कांग्रेस ने अहमदाबाद अधिवेशन में यह संकल्प लिया गया था कि पार्टी आगामी चुनावों को देखते हुए नए तरीके से जिलाध्यक्ष बनाएगी। तब कई राज्यों में इस पर काम भी हुआ और मध्यप्रदेश, हरियाणा व गुजरात आदि में नए जिलाध्यक्ष बनाए भी गए जो बहुत पावरफुल हो गए। उस अधिवेशन के बाद पहला चुनाव बिहार राज्य में हो रहा है, ऐसे में क्या बिहार चुनाव के टिकट वितरण में जिलाध्यक्षों की भूमिका कितनी रही, यह तो पार्टी ही बताएगी। इसके अलावा अजय माकन पार्टी के कोषाध्यक्ष हैं, उन्हें स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाना कहां तक जायज था क्योंकि किसी भी पार्टी के कोषाध्यक्ष को स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष नहीं बनाया जाता है। यह इसलिए संभव हुआ कि अजय माकन और कृष्णा अल्लावरू आदि ये सभी राहुल गांधी के ही लोग हैं।
वहीं कांग्रेस के बिहार के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर बार-बार यह सवाल उठा रहे थे कि पार्टी को जल्दी उम्मीदवार तय करना चाहिए और जो टिकट वितरण हो वह स्थानीय हो। लेकिन कांग्रेस व खासकर राहुल गांधी यह नहीं कर पाए। जबकि राजग की सूची पहले आ गई। दरअसल, बिहार का हिन्दीभाषी राज्यों में एक स्थान है और इस चुनाव में राजद और कांग्रेस के रिश्ते अब अच्छे नहीं रह गए जबकि पहले लालू यादव और सोनिया गांधी के बहुत अच्छे रिश्ते थे, एक -दूसरे का आदर करते थे। पिछली बार के चुनाव में सोनिया गांधी का बिहार चुनाव के लिए एक वीडियो मैसेज था जबकि इस चुनाव में वह कही भी दिखाई नहीं दे रही हैं। संप्रग सरकार के दौरान सोनिया गांधी लालू यादव को बहुत महत्व देती थीं, लेकिन वैसा रिश्ता अब तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के बीच में नहीं रह गया है।
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत्र का इस संबंध में कहना है कि उन्हें यह पता नहीं है कि सोनिया गांधी चुनाव प्रचार में जाएंगी या नहीं। इसके अलावा उन्होंने कहा टिकट वितरण में जिलाध्यक्षों का फीडबैक लिया गया है और फिर उन्होंने इसके आगे कहा कि इतना ज्यादा उन्हें पता नहीं है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी इस चुनाव से दूर ही हैं।
गौरतलब है कि पिछली बार राजद की जो सरकार नहीं बन पाई वह कांग्रेस के कारण नहीं बन पाई क्योंकि कांग्रेस की सीटें कम थी। तब कांग्रेस का कहना था उसे खराब सीटें दी गई, लेकिन इस बार ऐसा हुआ तो गठबंधन पर भी असर पड़ सकता है। यह सब स्थितियां तय करती हैं कि इस बार के चुनाव में सारा दारोमदार राहुल गांधी पर ही है कि बिहार चुनाव में कांग्रेस कैसा प्रदर्शन करती है।