बांग्लादेश। चटगांव सेशन कोर्ट के जज सैफुल इस्लाम ने हिंदू संत चिन्मय प्रभु दास की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद इसे खारिज कर दिया। यह दूसरी बार है जब उनकी जमानत याचिका खारिज हुई है। इससे पहले 3 दिसंबर 2024 को भी उनकी याचिका को नामंजूर किया गया था। मतलब साफ है कि चिन्मय दास को अभी और समय जेल में ही बिताना होगा।
कोर्ट में वकीलों की तरफ से कहा गया कि चिन्मय दास को कई गंभीर बीमारियां हैं, इसके बाद भी उन्हें गलत तरीके से जेल में रखा गया है। बता दें, चिन्मय दास के वकील की तबीयत खराब होने के कारण उनकी जमानत याचिका पर 11 वकीलों ने सुनवाई में भाग लिया।
चिन्मय प्रभु पर राजद्रोह का आरोप
चिन्मय प्रभु पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने और राजद्रोह का आरोप लगाया गया है। यह आरोप पूर्व बीएनपी नेता फिरोज खान द्वारा लगाया गया था। उनका दावा है कि 25 अक्टूबर को चटगांव में हुई हिंदू समुदाय की रैली में चिन्मय दास और अन्य ने ध्वज का अपमान किया।
चिन्मय प्रभु के वकील अपूर्व भट्टाचार्य ने कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि वे हाईकोर्ट में अपील करेंगे। सुप्रीम कोर्ट के 11 वकीलों की टीम भी इस मामले में शामिल है।
बिना वारंट किया गया गिरफ्तार
चिन्मय प्रभु को 25 नवंबर 2024 को ढाका के हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था। उस समय पुलिस ने कोई गिरफ्तारी वारंट नहीं दिखाया। इस्कॉन के सदस्यों का कहना है कि डीबी पुलिस ने उन्हें बात करने के बहाने माइक्रोबस में बिठाया और ले गई।
कौन हैं चिन्मय प्रभु
चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी का असली नाम चंदन कुमार धर है, वो चटगांव इस्कॉन के प्रमुख हैं। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता के रूप में उन्होंने कई रैलियों का नेतृत्व किया।
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