अंतर्राष्ट्रीयताजा खबर

Pakistan VS Taliban Conflict : क्यों एक दूसरे के खिलाफ हुए पाकिस्तान और तालिबान! क्या है इसके पीछे की असल वजह…

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के तालिबान शासन के बीच संबंधों में हाल के महीनों में तनाव और संघर्ष की घटनाएं बढ़ी हैं। दोनों ने विगत महीनों में एक दूसरे पर लगातार हमले किए हैं। ऐसे में दोनों देशों को जान-माल का नुकसान झेलना पड़ा है। दोनों देशों के बीच डूरंड रेखा सीमा विवाद और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की गतिविधियों ने इस तनाव को और गहरा किया है। आइए जानते हैं कि दोनों देशों ने हाल-फिलहाल एक दूसरे पर कब हमले किए और इसके पीछे की वजह क्या है…

हमले की टाइमलाइन

दिसंबर 2024 की शुरुआत : टीटीपी ने वजीरिस्तान क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना पर हमले तेज किए, जिसमें कई सैनिक हताहत हुए। इन हमलों के बाद, पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में स्थित टीटीपी ठिकानों पर हवाई हमले किए।

24 दिसंबर 2024 : पाकिस्तानी वायु सेना ने अफगानिस्तान के पकतीका प्रांत के बरमल जिले में हवाई हमले किए, जिसमें 46 लोग मारे गए। तालिबान सरकार ने इन हमलों की कड़ी निंदा की और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी।

दिसंबर 2024 के आखिर में : तालिबान ने पाकिस्तान की सीमा चौकियों पर हमले किए, जिसमें 19 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और कई चौकियों पर कब्जा कर लिया गया। इस घटना के बाद, दोनों देशों ने सीमा पर अपनी सैन्य तैनाती बढ़ा दी, जिससे युद्ध जैसे हालात बन गए।

क्या है इस संघर्ष की वजहें

  1. डूरंड रेखा विवाद : पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच 2,640 किमी लंबी डूरंड रेखा ऐतिहासिक रूप से विवादित रही है। अफगानिस्तान की पिछली सरकारों की तरह, तालिबान भी इस रेखा को मान्यता नहीं देता, जिससे सीमा पर तनाव बढ़ता है।
  2. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की गतिविधियां : अफगानिस्तानी पनाहगारों में संचालित हो रही टीटीपी ने पाकिस्तान में हमले बढ़ा दिए हैं। पाकिस्तान का आरोप है कि अफगान तालिबान टीटीपी को समर्थन दे रहा है, जबकि तालिबान इन आरोपों से इनकार करता है।
  3. सीमा पार आतंकवाद : दोनों देशों के बीच सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों के आरोप-प्रत्यारोप चलते रहे हैं, जिससे आपसी विश्वास में कमी आई है और सैन्य संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हुई है।

पाकिस्तान-तालिबान के खराब होते संबंधों का इतिहास

15 अगस्त 2021 को तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता संभाली, जिसे पाकिस्तान ने बड़े उत्साह के साथ समर्थन दिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसे ‘गुलामी की जंजीरों को तोड़ने’ जैसा करार दिया। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि तालिबान की वापसी से क्षेत्र में उसकी रणनीतिक स्थिति मजबूत होगी और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के खिलाफ उसके प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, तालिबान सरकार बनने के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंधों में गिरावट शुरू हो गई। तालिबान ने डूरंड लाइन को मान्यता देने से इनकार कर दिया और अफगानिस्तान में टीटीपी को शरण मिलती रही। तालिबान की इन हरकतों से पाकिस्तान की उम्मीदें टूटने लगीं।

टीटीपी ने पाकिस्तान पर किए हमले

तालिबान सरकार के तहत टीटीपी ने अफगानिस्तान में सुरक्षित पनाहगाहों से पाकिस्तान के खिलाफ हमले तेज कर दिए। पाकिस्तान ने सीमा पार आतंकी ठिकानों पर हमले शुरू किए, जिसमें 24 दिसंबर 2024 को पकतीका प्रांत में हुए हवाई हमले ने विवाद को और बढ़ा दिया। इन हमलों में 46 नागरिक मारे गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल थे। अफगान सरकार ने इसकी निंदा करते हुए कि जवाबी कार्रवाई की, जिसमें पाकिस्तानी सुरक्षा बलों को नुकसान हुआ।

डूरंड लाइन सीमा विवाद

डूरंड रेखा इस संघर्ष की प्रमुख वजह है। 1893 में खींची गई इस सीमा को अफगानिस्तान ने कभी स्वीकार नहीं किया। तालिबान पख्तून राष्ट्रवाद और टीटीपी को एक साधन के रूप में उपयोग कर रहा है। अफगानिस्तान चाहता है कि पाकिस्तान के कबायली इलाकों को बफर जोन बनाया जाए, जहां टीटीपी का नियंत्रण हो। पाकिस्तान के लिए यह न केवल सुरक्षा बल्कि क्षेत्रीय अखंडता का भी सवाल है। विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबान सरकार, धार्मिक और वैचारिक आधार पर टीटीपी का समर्थन करती है, जिससे पाकिस्तान की चुनौतियां बढ़ गई हैं।

पाकिस्तान की विदेश नीति और कूटनीतिक विफलताएं

विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की अफगानिस्तान नीति असफल रही है। तालिबान के सत्ता में आने से पाकिस्तान को लगा कि वह भारत की भूमिका सीमित कर पाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके उलट तालिबान ने पाकिस्तान को ही चुनौती देना शुरू कर दिया। इस बीच, पाकिस्तान के भारत, अफगानिस्तान और ईरान के साथ संबंध खराब हुए हैं। अफगानिस्तान में हालिया हमलों से पाकिस्तान की कमजोर स्थिति भी उजागर हुई है। तालिबान ने अपने आधुनिक हथियारों और रणनीतियों से दिखा दिया है कि वह दबाव में नहीं आएगा।

ये भी पढे़ं- मोहन भागवत के बयान पर पांचजन्य का समर्थन, लिखा- स्वार्थ के लिए मंदिर का प्रचार गलत; ऑर्गनाइजर का मत अलग, 3 जनवरी को इंदौर आएंगे संघ प्रमुख

संबंधित खबरें...

Back to top button