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अरविंद केजरीवाल ने खटखटाया दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा, CBI की गिरफ्तारी को बताया अवैध

नई दिल्ली। दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार (1 जुलाई) को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। केजरीवाल ने सीबीआई की गिरफ्तारी और रिमांड को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने अपनी याचिका में सीबीआई की गिरफ्तारी को अवैध बताया है।

केजरीवाल को 14 दिन की न्यायिक हिरासत

शनिवार (29 जून) को राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। CBI ने केजरीवाल को 26 जून को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। तीन दिन की कस्टडी के बाद उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया था। जिसके बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने दिल्ली सीएम की 14 दिन की न्यायिक हिरासत की मांग की थी। राउज एवेन्यू की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 12 जुलाई तक न्यायिक हिरासत के लिए तिहाड़ जेल भेजा।

25 जून को दिल्ली HC ने जमानत देने किया इनकार

मंगलवार (25 जून) को हाईकोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देने से इनकार कर दिया। अभी वह तिहाड़ जेल में ही रहेंगे। जस्टिस सुधीर कुमार जैन की पीठ ने 20 जून को निचली अदालत द्वारा दिए गए अरविंद केजरीवाल के जमानत आदेश पर रोक लगा दी।

दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल के वकील ने कहा कि जब एक बार बेल ग्रांट कर दी जाती है तो इसमें स्टे नहीं होता है। आज (26 जून) सुप्रीम कोर्ट में हम अपनी दलील रखेंगे।

ट्रायल कोर्ट ने अपना विवेक नहीं लगाया – दिल्ली हाईकोर्ट

25 जून को हुई सुनवाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- इस न्यायालय का मानना ​​है कि ट्रायल कोर्ट ने अपना विवेक नहीं लगाया है और सामग्री पर विचार नहीं किया है।

राउज एवेन्यू कोर्ट से 20 जून को मिली थी जमानत

शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में सीएम अरविंद केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार (20 जून) को 1 लाख रुपए के बेल बॉन्ड पर जमानत दी थी। ईडी ने जमानत का विरोध करने के लिए 48 घंटे का समय मांगा था। जज न्यायबिंदु की वेकेशन बेंच ने ED और केजरीवाल की दलीलें सुनने के बाद दोपहर में फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद शाम को फैसला सार्वजनिक करते हुए कोर्ट ने कहा कि एक लाख रुपए के मुचलके पर शुक्रवार को केजरीवाल तिहाड़ जेल से बाहर आ सकते हैं।

केजरीवाल ने 100 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी : ASG राजू

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ASG एसवी राजू ने कहा- हमारे पास अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सबूत हैं कि उन्होंने पीएमएलए में अपराध किया है। हमारे पास सिर्फ सरकारी गवाह के बयान नहीं हैं, हमारे पास गवाहों के बयान, दस्तावेजी सबूत और उसके खिलाफ अपराध बनाने के लिए पर्याप्त सामग्री भी है। गवाह का कहना है कि उन्होंने रिश्वत के रूप में 100 करोड़ रुपए की मांग की थी। जांच एजेंसी ने यह भी स्पष्ट किया कि रिश्वत के आरोप केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की तरफ से लगाए गए थे।

21 मार्च को गिरफ्तार हुए थे केजरीवाल

ईडी ने लगभग दो घंटे की पूछताछ के बाद अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को उनके आधिकारिक आवास से गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें शुक्रवार (22 मार्च) को राऊज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया और पूछताछ के लिए 10 दिनों की रिमांड मांगी, लेकिन कोर्ट ने छह दिन की रिमांड दी। 28 मार्च को केजरीवाल की रिमांड अवधि खत्म हुई, जो बाद में 1 अप्रैल तक बढ़ा दी गई। कोर्ट ने केजरीवाल को 1 अप्रैल से 15 अप्रैल तक के लिए ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा था। जिसके बाद फिर से राउज एवेन्यू कोर्ट ने केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 23 अप्रैल तक बढ़ा दी। केजरीवाल​​​​​​ को तिहाड़ जेल में 2 नंबर बैरक में रखा गया है।

HC ने रिमांड को सही ठहराया

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार (9 अप्रैल) को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देने वाली याचिका खारिज कर दी और शराब नीति मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी-रिमांड को सही ठहराया। हाईकोर्ट ने कहा- ED ने हमारे सामने पर्याप्त सबूत पेश किए। अपनी याचिका में केजरीवाल ने कहा था कि उनकी गिरफ्तारी PMLA (मनी लॉन्ड्रिंग कानून) की धारा-19 का उल्लंघन है। जिस पर जस्टिस स्वर्ण कान्त शर्मा ने कहा कि ईडी द्वारा जुटाए गए तथ्यों से पता चलता है कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की शराब नीति बनाने में आरोपियों के साथ मिलकर साजिश रची और इससे मिले पैसों का इस्तेमाल गोवा इलेक्शन में किया।

पहली बार किसी सीएम की हुई गिरफ्तारी

यह पहला ऐसा मामला है जब किसी मुख्यमंत्री को पद पर रहते हुए ही गिरफ्तार कर लिया गया है। इससे पहले जो भी सीएम किसी आरोप के कारण जांच या फिर गिरफ्तारी के दायरे में आए थे, उन्होंने अपने पद से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले झारखंड के पूर्व CM हेमंत सोरेन को ED ने गिरफ्तार किया था। सोरेन ने ED की हिरासत में राजभवन जाकर इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में अब दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

क्या है पूरा मामला ?

दिल्ली में केजरीवाल की सरकार में डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया ने 22 मार्च 2021 को नई शराब नीति का ऐलान किया था। 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई। नई शराब नीति लागू करने के बाद सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई और शराब की पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई। नई नीति लाने के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकार का रेवेन्यू में बढ़ेगा। नई नीति से रेवेन्यू में 1500-2000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की उम्मीद जताई गई थी।

नई पॉलिसी में कहा गया था कि दिल्ली में शराब की कुल दुकानें पहले की तरह 850 ही रहेंगी। हालांकि, नई नीति शुरू से ही विवादों में रही। जब बवाल ज्यादा बढ़ गया, तब 28 जुलाई 2022 को सरकार ने नई शराब नीति रद्द कर फिर पुरानी पॉलिसी लागू कर दी। मामले में सीबीआई को जांच ट्रांसफर दी गई। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा एंगल आने पर इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की एंट्री हो गई। उसके बाद से AAP के कई सीनियर नेता और उनके करीबी सहयोगी जांच एजेंसी के निशाने पर आ गए।

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