Shivani Gupta
10 Dec 2025
चेन्नई।
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। 23 अप्रैल को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की और साफ संदेश दिया- "अब बहुत हो चुका"। सेना को पहली बार पूरी तरह फ्री हैंड दिया गया कि वह कब, कैसे और कहां कार्रवाई करे।
25 अप्रैल को उत्तरी कमान में ऑपरेशन की योजना तैयार हुई, जिसमें 9 में से 7 प्रमुख आतंकी ठिकानों को नष्ट करने का लक्ष्य रखा गया। 29 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ऑपरेशन की जानकारी दी गई। ऑपरेशन का नाम "सिंदूर" रखा गया, जिसने पूरे देश को एकजुट कर दिया।
7 मई की रात डेढ़ बजे भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और पाकिस्तान के अंदर कई जगह एयर स्ट्राइक की। इसमें कोटली, बहावलपुर, मुरीदके, बाग और मुजफ्फराबाद में आतंकियों के अड्डों को तबाह किया गया। लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय और जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का ठिकाना भी इस ऑपरेशन में निशाने पर था।
एयर चीफ मार्शल एपी सिंह के मुताबिक, इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के-
पूरी तरह नष्ट कर दिए गए। इसके अलावा कई रडार और एयरफील्ड भी तबाह हुए।
भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम, खासकर हाल ही में शामिल किया गया S-400, पाकिस्तान के हमलों को नाकाम करने में सबसे अहम साबित हुआ। पाकिस्तान लंबी दूरी के ग्लाइड बम होने के बावजूद उनका इस्तेमाल करने में विफल रहा।
जनरल द्विवेदी ने इसे ग्रे जोन ऑपरेशन बताया, जहां पारंपरिक युद्ध की बजाय रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक मोर्चे पर भी लड़ाई लड़ी गई। उनके अनुसार, "कहीं हम दुश्मन को शह और मात दे रहे थे, तो कहीं जोखिम उठाकर भी कदम बढ़ा रहे थे- यही जिंदगी और युद्ध का सच है।"
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दावा किया कि भारत को भी भारी नुकसान हुआ, हालांकि भारत ने इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं दी। आसिफ ने भारतीय वायुसेना प्रमुख के बयानों को "गलत समय पर दिए गए" और "राजनीतिक रूप से प्रेरित" बताया।
IIT मद्रास में इसी दौरान ‘अग्निशोध’- इंडियन आर्मी रिसर्च सेल (IARC) का उद्घाटन भी हुआ। इसका उद्देश्य सैनिकों को एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, साइबर सिक्योरिटी, क्वांटम कंप्यूटिंग, वायरलेस कम्युनिकेशन और अनमैन्ड सिस्टम जैसे क्षेत्रों में दक्ष बनाना है, ताकि भविष्य की लड़ाइयों में तकनीकी बढ़त हासिल हो सके।
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