Manisha Dhanwani
23 Nov 2025
प्राइवेट सेक्टर के दिग्गज बैंक ICICI ने अपने बचत खाता धारकों के लिए न्यूनतम औसत बैलेंस (MAB) की सीमा में बड़ा बदलाव किया है। बैंक ने मेट्रो और शहरी क्षेत्रों में सेविंग अकाउंट के लिए न्यूनतम बैलेंस को 10,000 रुपए से बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया है। यह बदलाव 1 अगस्त 2025 से प्रभावी हो गया है। बैंक का यह कदम देश में अब तक का सबसे ऊंचा मिनिमम अकाउंट बैलेंस निर्धारित करने वाला फैसला माना जा रहा है।
नए नियम के तहत, मेट्रो और शहरी क्षेत्रों में सेविंग अकाउंट धारकों को अब कम से कम 50,000 रुपए का औसत मासिक बैलेंस बनाए रखना होगा। अर्द्ध-शहरी इलाकों में यह सीमा 25,000 रुपए और ग्रामीण क्षेत्रों में 10,000 रुपए तय की गई है। पहले मेट्रो और शहरी शाखाओं के लिए यह सीमा सिर्फ 10,000 रुपए थी, जबकि अर्द्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में इससे भी कम बैलेंस की आवश्यकता होती थी। इस बदलाव के बाद ICICI बैंक ने न्यूनतम बैलेंस के मामले में अन्य सभी घरेलू बैंकों को पीछे छोड़ दिया है।
ICICI बैंक का नया नियम पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट सेक्टर के अन्य बैंकों की तुलना में काफी अधिक है। देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI ने साल 2020 में न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने की शर्त को ही समाप्त कर दिया था, जिससे ग्राहकों को इस संबंध में कोई जुर्माना नहीं भरना पड़ता। वहीं, अन्य बैंक अपने संचालन खर्च को पूरा करने के लिए सेविंग अकाउंट में 2,000 रुपए से 10,000 रुपए तक के न्यूनतम बैलेंस की शर्त रखते हैं। HDFC बैंक में मेट्रो और शहरी क्षेत्रों के लिए न्यूनतम बैलेंस 10,000 रुपए, अर्द्ध-शहरी शाखाओं के लिए 5,000 रुपए और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 2,500 रुपए है।
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बैंकिंग नियमों के अनुसार, अगर कोई ग्राहक अपने खाते में निर्धारित न्यूनतम बैलेंस नहीं रखता है, तो बैंक उस पर पेनल्टी लगाता है। यह जुर्माना खाता के प्रकार और बैलेंस की कमी की मात्रा पर निर्भर करता है। ICICI बैंक ने अपने ग्राहकों से अपील की है कि वे समय रहते अपने खातों की स्थिति की जांच करें और नए नियम का पालन सुनिश्चित करें, ताकि उन्हें अतिरिक्त शुल्क न भरना पड़े।
न्यूनतम बैलेंस बढ़ाने से पहले ICICI बैंक ने अपने सेविंग अकाउंट पर मिलने वाली ब्याज दर में भी कटौती की थी। अप्रैल 2025 में बैंक ने ब्याज दर को 0.25% घटाकर 2.75% कर दिया था। 50 लाख रुपए से अधिक के बैलेंस पर ब्याज दर घटकर 3.25% हो गई है। यह फैसला HDFC और Axis बैंक द्वारा ब्याज दरों में कमी करने के तुरंत बाद लिया गया था।
ICICI बैंक के इस फैसले का सीधा असर उन लाखों ग्राहकों पर पड़ेगा, जो मेट्रो और शहरी क्षेत्रों में छोटे बैलेंस के साथ सेविंग अकाउंट ऑपरेट करते हैं।