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लॉकडाउन में मां को घर से निकालने वाली बेटी को देना होगा गुजारा भत्ता

मां ने इकलौटी संतान के खिलाफ इंदौर के कुटुंब न्यायालय की ली थी शरण

इंदौर। इंदौर के कुटुंब न्यायालय ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में 55 वर्षीय महिला को आदेश दिया है कि वह 78 साल की मां को हर माह गुजारा भत्ते के तौर पर तीन हजार रुपए अदा करे। विधवा महिला ने इकलौती संतान के खिलाफ कुटुंब न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए आरोप लगाया था कि उसकी विवाहित बेटी ने उसकी जमा- पूंजी हड़पने के बाद उसे कोविड- 19 लॉकडाउन के दौरान प्रताड़ित कर घर से निकाल दिया था।

अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश माया विश्वलाल ने फैसले में कहा कि प्रार्थी (बुजुर्ग महिला) की ओर से पेश साक्ष्य के आधार पर प्रमाणित है कि बुजुर्ग महिला की बेटी अपने मकान में स्थित दुकान में अपने पुत्र के साथ व्यवसाय करती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि प्रतिप्रार्थी दुकान से व्यवसाय कर आमदनी कमा रही है और अपनी माता का भरण-पोषण में सक्षम है। बुजुर्ग महिला के पति राज्य सड़क परिवहन निगम में चालक थे और उनका 2001 में निधन हो गया था।

महिला के मुताबिक पति के निधन के बाद विवाहिता बेटी ने पुश्तैनी मकान बिकवा दिया और उन्हें अपने साथ रहने बुला लिया था। उसने आरोप लगाया कि उनकी बेटी ने उनके दिवंगत पति की भविष्य निधि की राशि और पुश्तैनी मकान की बिक्री से मिली रकम बैंक खाते से झांसा देते हुए धीरे-धीरे निकलवा ली कि वह उन्हें अपने घर में रखकर पूरी देखभाल करेगी। महिला का आरोप है कि उनकी जमा-पूंजी लेने के बाद उनकी बेटी ने उन्हें प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।

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