Peoples Reporter
7 Oct 2025
कीव। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन के बीच अलास्का में आज शिखर बैठक होने वाली है। इस शिखर बैठक को लेकर यूक्रेन की पू्र्वी सीमा पर ड्रोन गिराने का प्रशिक्षण ले रहे यूक्रेनी सैनिकों में कोई उत्साह नहीं हैं। उनका मानना है रूस ने हाल के दिनों में जिस तरह यूक्रेन पर हमले तेज किए हैं, उसे देखते हुए इस बात की संभावना लगभग नहीं के बराबर है कि डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक में रूसी राष्ट्रपति युद्धविराम के लिए राजी हो जाएंगे। ड्रोन गिराने का प्रशिक्षण ले रहे यूक्रेनी सैनिकों ने कहा हमारे पास युद्ध के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। शांति की संभावना नहीं के बराबर दिखाई देती है। उन्होंने कहा, हमें किसी भी स्थिति में रूस से संघर्ष जारी रखना होगा। केंद्र के प्रशिक्षक इहोर ने कहा यह सच है कि हमारे पास हथियार कम हैं, हमारे हथियार भी तेजी से घट रहे हैं, लेकिन युद्ध हथियारों से नहीं, अंततः मनोबल से लड़े जाते हैं। हम रूसी सैनिकों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। चूेंकि, यूक्रेन-रूस युद्ध में ड्रोन प्रमुख हथियार के रूप में इस्तेमाल हो रहा है, इसलिए इस केंद्र में यूक्रेनी सैनिकों को ड्रोन गिराने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
2014 से सेना में सेवाएं दे रहे इहोर बताते हैं कि आधुनिक युद्ध में शाटगन एक बेहद सामान्य हथियार है, लेकिन नजदीक से ड्रोन गिराने में इसका कोई जवाब नहीं है। उन्होंने कहा युद्ध हमारी नियति बन गया है। यूक्रेन के लिए जमीन के बदले शांति जैसी शर्तें मानना कठिन है। इसलिए मैं और मेरे साथी अपने इलाकों की पूर्ण आजादी तक लड़ना जारी रखेंगे। यहां सैनिकों को ड्रोन गिराने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इस केंद्र में सैनिक तेजी से उड़ते लक्ष्यों पर निशाना साधने की प्रैक्टिस करते हैं, पहले जमीन से और फिर चलते-चलते या दौड़ते हुए। इसके बाद इन्हें सीमा पर भेज दिया जाता है। ड्रोन चूंकि आज की लड़ाई का सबसे बड़ा हथियार बन गए हैं, इस लिए यहां सैनिकों को इन्हें गिराने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यूक्रेन में सैनिकों के बीच इन दिनों एक नया शब्द बहुत इस्तेमाल हो रहा है–ड्रोनोसाइड। इसका मतलब है ड्रोन से होने वाली भारी तबाही और मौतें। ड्रोन आज की लड़ाई में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला हथियार बन गया है।
उसके पास अब हथियार बहुत नहीं बचे हैं। रक्षा के साधन के रूप में उनके पास ड्रोन गिराने के लिए शॉटगन जैसे हथियार हैं। एक सच्चाई यह भी है कि कई यूक्रेनी फ्रंटलाइन यूनिट्स की ताकत अब काफी घट चुकी है। नई भर्ती की कोशिशें लगातार असफल रही हैं। यूक्रेनी सैनिक हथियारों और सैनिकों की संख्या के लिहाज से रूस से बहुत पीछे हैं। सैनिक लंबे समय से लड़ते-लड़ते थक चुके हैं और कई क्षेत्रों में उन्हें बड़ा भूभाग रूसी सैनिकों के हाथों गवांना पड़ा है। इसके बाद भी वे हार मानने और रूस के आगे झुकने को तैयार नहीं हैं। ओलेक्सीय नाम के सैनिक का मानना है कि युद्ध किसी न किसी तरह खत्म होना चाहिए। लेकिन रूस को जमीन देना कदापि ठीक नहीं है। ओलेक्सीय अपने पिता और कई दोस्तों को युद्ध में खो चुके हैं। वह बताते हैं, हाल के दिनों में दबाव बढ़ा है, रूस को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है। हर दिन करीब 1,000 सैनिक मारे जा रहे हैं या घायल हो रहे हैं, जिससे उनकी ताकत धीरे-धीरे घट रही है।
मोर्चे पर दिखने वाली यह स्थिति शहरों में भी झलकती है। नागरिक भी लगातार रूसी हमलों का सामना करते-करते ऊब चुके हैं। लगातार मौतें हो रही हैं। लोग जान गंवा रहे हैं या घायल हो रहे हैं। हर तरफ तबाही का मंंजर है। पिछले माह रूस ने यूक्रेन पर 6,000 से ज्यादा ड्रोन दागे थे, जबकि जुलाई 2024 में यह संख्या केवल 400 से थोड़ी अधिक ही थी। राजधानी कीव की सड़कों पर लोगों में युद्ध खत्म करने की इच्छा साफ दिखती है। ओलेक्जेडर नाम का एक व्यक्ति कहता है कि अगर हमने युद्ध नहीं रोका तो हम अपना और इलाका और लोग खो देंगे। उन्होंने इसकी तुलना जुए से की। उन्होंने कहा, यह जुए जैसा ही तो है- जितना ज्यादा खेलते जाओगे, उतना ही ज्यादा हारते जाओगे। कुल मिलाकर, यूक्रेन में सैनिक और नागरिक दोनों ही, इस युद्ध की कीमत अपने जीवन, जमीन और मनोबल से चुका रहे हैं। इसके बावजूद, उनके भीतर यह दुविधा बहुत गहरी है कि क्या शांति के लिए उन्हें अपने हिस्से की जमीन रूस को सौंप देनी चाहिए या लड़ाई जारी रखनी चाहिए ?