Shivani Gupta
18 Sep 2025
पुष्पेन्द्र सिंह/भोपाल। राहतगढ़ के प्रहलाद सिंह बताते हैं कि विदिशा से सागर को जोड़ने वाला राहतगढ़ का पुल बहुत संकरा और छोटा है। बारिश से बावन नदी जब उफान पर आती है तो अक्सर इस पुल पर पानी आ जाता है। संकरा होने से अक्सर यहां जाम लगता है। ये परेशानी राहतगढ़ से प्रहलाद सिंह की नहीं बल्कि प्रदेशभर के कई लोगों की है। अभी कई नदी-नाले उफान पर होने से कई पुलों से आवागमन प्रभावित है। गुरुवार को छतरपुर से टीकमगढ़ जिले को जोड़ने वाले धसान पुल से यातायात ठप हो गया। उधर, चार साल पहले क्षतिग्रस्त हुए दस बड़े पुलों का दोबारा निर्माण किया जा रहा है, इनमें अब तक महज एक पुल पूरा बन पाया है। क्षतिग्रस्त पुलों के निर्माण में 230 करोड़ से अधिक राशि खर्च होगी। इस साल के जून और जुलाई माह में बिहार में 12 बड़े पुल धराशायी हो चुके हैं। प्रदेश में दो साल पहले भारी बारिश के चलते भोपाल-जबलपुर हाईवे पर कलियासोत नदी पर बने पुल की सर्विस रोड धंस गई थी।
प्रदेश में 100 से अधिक ऐसे पुल हैं, जो अंग्रेजों के समय या आजादी के कुछ साल बाद बनाए गए थे और ये पुल खतरा बने हुए हैं। सेतु परिक्षेत्र की जानकारी के अनुसार 60 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले 1,076 ऐसे पुल हैं जिनकी आयु 50 से 60 साल हो चुकी है।
3 अगस्त 2021: सिंध नदी में बाढ़ से रतनगढ़ (दतिया जिला) का पुल टूटा था।
16 अगस्त 2022: रायसेन जिले के बेगमगंज में बीना नदी पर बने पुल का एक हिस्सा बह गया था।
जुलाई 2023: मंडला में बारिश से थावर नदी का पुल टूटा था।
लोक निर्माण और जल संसाधन विभाग सभी पुलों की जानकारी जुटा रहे हैं। ग्वालियर-चंबल संभाग में बने 7 पुल अतिवृष्टि के चलते दो साल पहले ढह गए थे। ग्वालियर संभाग से 92 पुलों की डिटेल भोपाल भेजी गई है। वहीं पीडब्ल्यूडी ने प्रदेश के ऐसे पुलों की मरम्मत के लिए शासन से राशि मांगी है जिनमें 5 लाख से अधिक खर्च होंगे।
विभाग के अंतर्गत आने वाले सभी पुलों की निगरानी की जा रही है। जरूरत के अनुसार मरम्मत कराया जा रहा है। कुछ साल पहले बारिश से क्षतिग्रस्त हुए पुलों का पुर्ननिर्माण कार्य चल रहा है। जीपी वर्मा,चीफ इंजीनियर, ब्रिज भोपाल