अधिवेशन के पहले दिन राहुल गांधी ने बीजेपी और आरएसएस पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि हाल ही में बीजेपी द्वारा लोकसभा में पास किया गया वक्फ संशोधन बिल "फ्रीडम ऑफ रिलीजन" और भारतीय संविधान पर सीधा आक्रमण है। राहुल गांधी ने आरएसएस के मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' में छपे उस बयान का हवाला दिया जिसमें क्रिश्चियंस पर आक्रमण की बात कही गई थी, और इसे 'एंटी-रिलीजन' बिल करार दिया। इसके अलावा उन्होंने बांग्लादेश के भारत के खिलाफ दिए गए बयानों पर भी सवाल उठाए और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां के नेताओं से मिलने के बाद एक शब्द भी नहीं बोला। राहुल गांधी ने सवाल किया कि कहां गई 56 इंच की छाती?
अधिवेशन के दूसरे दिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे विपक्ष को नुकसान और खुद को फायदा होता है। उन्होंने सुझाव दिया कि चुनावों को बैलेट पेपर से आयोजित किया जाना चाहिए, न कि ईवीएम से। खड़गे ने कहा कि महाराष्ट्र चुनाव में भी सरकार ने धोखे से जीत हासिल की और 150 सीटों पर लड़कर 138 सीटों पर विजय प्राप्त की। यह कभी नहीं हुआ था। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही सब कुछ उजागर होगा क्योंकि "चोर चोरी करते हैं और एक दिन पकड़े जाते हैं।"
इस अधिवेशन के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे ने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की संपत्तियों को निजीकरण की आड़ में बेच रहे हैं और उसे अपने उद्योगपति दोस्तों को दे रहे हैं। खड़गे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक क्षेत्र को नष्ट करने का काम किया है, जबकि जो कुछ नेहरू जी ने निर्मित किया था, मोदी उसे खत्म करने पर तुले हुए हैं।
इस अधिवेशन में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की अनुपस्थिति पर भी सवाल उठे। हालांकि, पार्टी के अन्य प्रमुख नेताओं ने कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और पार्टी के भविष्य को लेकर अपने विचार रखे।
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