लखनऊ। संभल से समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क का मंगलवार को निधन हो गया। सपा ने इसकी आधिकारिक पुष्टि की। सपा सांसद बर्क (94) लंबे समय से बीमार चल रहे थे और हालत बिगड़ने पर उन्हें मुरादाबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। बता दें कि वह सबसे उम्रदराज सांसद माने जाते थे।
कुछ दिनों पहले सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अस्पताल पहुंचकर उनका हाल जाना था
जनाब शफीकुर्रहमान बर्क साहब का इंतकाल, अत्यंत दु:खद : सपा
बर्क के निधन पर सपा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट शेयर कर लिखा- समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता, कई बार के सांसद जनाब शफीकुर्रहमान बर्क साहब का इंतकाल, अत्यंत दु:खद। उनकी आत्मा को शांति दे भगवान। शोकाकुल परिजनों को यह असीम दु:ख सहने का संबल प्राप्त हो। भावभीनी श्रद्धांजलि!''
https://twitter.com/samajwadiparty/status/1762341023135727748
5 बार सांसद और 4 बार विधायक रहे
- सांसद डॉ. बर्क ने 57 वर्ष पहले राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी।
- डॉ. बर्क ने 1967 में संभल विधानसभा क्षेत्र से पहला विधानसभा चुनाव लड़े थे पर कामयाब नहीं हो सके थे। उन्हें राज्य विधानसभा के चुनाव में पहली कामयाबी 1974 में मिली थी। बीकेडी से विधायक चुने गए।
- इसके बाद 1977 में जनता पार्टी और 1985 में लोकदल, 1989 में जनता दल से विधायक बने।
- साल 1996-98 और 2004 में मुरादाबाद लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद रहे थे।
- साल 2009 में बसपा से और 2019 में संभल लोकसभा सीट पर सपा से सांसद रहे थे।
- साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के परमेश्वर लाल सैनी ने सपा के शफीकुर्रहमान बर्क को 5174 वोटों से हरा दिया था।
- 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सपा ने फिर से शफीकुर्रहमान बर्क को अपना उम्मीदवार बनाया था।
चौधरी चरण सिंह से थे प्रभावित
दिवंगत पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह से डॉ. बर्क काफी प्रभावित थे। उनके संपर्क में आने के बाद उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की। डॉ. बर्क ने संभल में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। वह अपने बयानों को लेकर भी हमेशा सुर्खियों में रहते थे। उन्होंने संसद में वंदे मातरम का विरोध किया था।