
नई दिल्ली। 25 जून का दिन भारत के लिए ऐतिहासिक बन गया। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम स्पेस के चौथे मिशन Axiom-4 (Ax-4) के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए सफलतापूर्वक उड़ान भरी। वे ISS पर पहुंचने वाले पहले और अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं। इससे पहले भारत के राकेश शर्मा 1984 में अंतरिक्ष में गए थे, लेकिन वह सोवियत मिशन के तहत थे और ISS नहीं गए थे। इस मिशन को लेकर पीएम मोदी ने शुभांशु को बधाई दी है।
पीएम मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर शुभकामनाएं देते हुए लिखा, “हम भारत, हंगरी, पोलैंड और अमेरिका के अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर अंतरिक्ष मिशन के सफल प्रक्षेपण का स्वागत करते हैं। भारतीय अंतरिक्ष यात्री, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाले पहले भारतीय बनने की राह पर हैं। वे अपने साथ 1.4 बिलियन भारतीयों की इच्छाएं, उम्मीदें और आकांक्षाएं लेकर आए हैं।”
कौन हैं ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के अनुभवी पायलट और वैज्ञानिक हैं। उन्होंने इस मिशन के लिए कड़ी ट्रेनिंग ली और अब वे एक प्रोफेशनल अंतरिक्ष यात्री के तौर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस मिशन में वह माइक्रोग्रैविटी आधारित वैज्ञानिक प्रयोग भी करेंगे, जो भारत के आगामी स्पेस स्टेशन प्रोग्राम के लिए अहम माने जा रहे हैं।
Axiom-4 मिशन में कौन-कौन हैं साथ
Ax-4 मिशन में कुल चार अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (भारत, ISRO), पैगी व्हिटसन (पूर्व NASA अंतरिक्ष यात्री, मिशन कमांडर),टिबोर कापू (हंगरी) और स्लावोज उज्नान्सकी-विज्निएव्स्की (पोलैंड, ESA) शामिल हैं। ये सभी अगले 14 दिनों तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रहेंगे और विभिन्न अंतरिक्ष अनुसंधान एवं प्रयोगों में भाग लेंगे।
क्यों खास है यह मिशन
लंबे समय बाद किसी भारतीय ने अंतरिक्ष की यात्रा की है। यह मिशन भारत की भविष्य की योजना कमर्शियल स्पेस स्टेशन की स्थापना के लिए बुनियाद तैयार करेगा। ISS पर रहते हुए शुभांशु माइक्रोग्रैविटी में जैविक, रासायनिक और भौतिक प्रयोग करेंगे। यह मिशन भारत को अंतरराष्ट्रीय स्पेस कम्युनिटी में एक मजबूत भागीदार बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
मां ने कहा- डर नहीं, गर्व है
शुभांशु की मां ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमारे लिए यह बहुत गौरव का क्षण है। हमें बिल्कुल डर नहीं है, बल्कि हम बेहद खुश और गर्वित हैं। सबसे ज्यादा गर्व उनका स्कूल कर सकता है जिसने उन्हें पढ़ाया है। शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता कि आज हमें कितना गर्व हो रहा है।”