श्योपुर। पुलिस अक्सर अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए जानी जाती है, लेकिन जब वही पुलिस मानवीय संवेदनाओं के साथ आगे आती है, तो वह समाज में एक मिसाल बन जाती है। ऐसा ही एक मामला श्योपुर जिले में देखने को मिला, जहां सामरसा चौकी पर पदस्थ एएसआई बृजराज यादव ने न सिर्फ एक जरूरतमंद की मदद की, बल्कि उसकी जान बचाने में भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने हार्ट अटैक के मरीज को अपनी निजी गाड़ी से अस्पताल पहुंचाया, जिससे समय पर इलाज मिलने से उसकी जान बच गई। डॉक्टरों का कहना है कि अगर थोड़ी देर और हो जाती, तो मरीज की जान जा सकती थी।
रात 11 बजे उठा सीने में दर्द
श्योपुर जिले के मुदालापाड़ा निवासी 35 वर्षीय रामरूप गुर्जर को रात करीब 11 बजे अचानक सीने में तेज दर्द उठा। जब दर्द असहनीय हो गया, तो उन्होंने नजदीकी गांव दांतरता में एक निजी डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने उनकी जांच की और पाया कि उनका ब्लड प्रेशर काफी बढ़ा हुआ था। उन्होंने स्थिति को गंभीर मानते हुए मरीज को तुरंत किसी बड़े अस्पताल में ले जाने की सलाह दी और कहा कि अगर एक घंटे के अंदर इलाज नहीं मिला, तो जान भी जा सकती है।
न साधन था, न परिवार का कोई सदस्य… तब याद आया एएसआई का नंबर
रामरूप गुर्जर के पास अस्पताल जाने के लिए कोई साधन नहीं था और न ही उस समय परिवार का कोई सदस्य उनके साथ मौजूद था। ऐसे में उन्हें सामरसा चौकी पर पदस्थ एएसआई बृजराज यादव का नंबर याद आया। उन्होंने तुरंत एएसआई को फोन किया और मदद की गुहार लगाई।
फोन पर बातचीत के दौरान पहले एएसआई यादव ने पूछा कि "क्या कोई झगड़ा हो गया या एक्सीडेंट हुआ है?" इस पर रामरूप ने जवाब दिया, "साहब, मेरी जिंदगी और मौत के बीच सिर्फ एक घंटा है। मुझे हार्ट अटैक आया है, कृपया मुझे अस्पताल पहुंचा दीजिए।"
निजी गाड़ी से मरीज को अस्पताल पहुंचाया
जैसे ही एएसआई बृजराज यादव ने यह सुना, वो बिना देरी के लिए मदद के लिए पहुंचे। इसके बाद वे अपनी निजी गाड़ी लेकर रामरूप गुर्जर के पास पहुंचे और तुरंत उन्हें लेकर राजस्थान के सवाई माधोपुर स्थित एक निजी अस्पताल पहुंचे।
रामरूप की जेब में मात्र 500 रुपए थे, लेकिन यह देखकर भी एएसआई यादव ने इंसानियत की मिसाल पेश की। उन्होंने डॉक्टर से कहा, "इलाज शुरू कीजिए, जितना भी खर्च आएगा, हम वहन करेंगे।" इसके बाद उन्होंने अपने चौकी स्टाफ से भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो वे ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर कर दें। पुलिस स्टाफ ने भी पूरी मदद करने का आश्वासन दिया।
डॉक्टर बोले, देर होती तो चली जाती जान
अस्पताल में डॉक्टरों ने तुरंत इलाज शुरू किया। रात 3 बजे तक रामरूप गुर्जर की हालत में सुधार आया। डॉक्टरों ने कहा कि अगर थोड़ी देर और हो जाती, तो मरीज की जान भी जा सकती थी। इलाज के दौरान रामरूप के परिवार वाले भी अस्पताल पहुंच गए और पुलिस की इस सहायता के लिए उनका आभार व्यक्त किया।
स्वस्थ होकर लौटे रामरूप ने पुलिस चौकी पर किया सम्मान
इलाज के बाद जब रामरूप पूरी तरह ठीक हो गए, तो वे अस्पताल से डिस्चार्ज होकर सीधे सामरसा पुलिस चौकी पहुंचे। वहां उन्होंने एएसआई बृजराज यादव और उनकी टीम का दिल से धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, "मेरे लिए आप पुलिसकर्मी नहीं, भगवान बनकर आए। अगर आपकी मदद न मिलती, तो मैं आज जिंदा नहीं होता।"
सम्मान के रूप में रामरूप गुर्जर ने पुलिसकर्मियों को माला पहनाई और साफा बांधकर उनका अभिनंदन किया। इस मौके पर हेड कांस्टेबल चंद्रशेखर शर्मा सहित अन्य पुलिसकर्मी भी मौजूद रहे।
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