रीवा। मध्य प्रदेश के रीवा जिले में बोरवेल में गिरे मयंक को बचाने की सभी कोशिशें नाकाम रही। करीब 44 घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद मयंक बोरवेल के भीतर 42 फीट की गहराई पर मिट्टी-पत्थरों के बीच दबा मिला। बच्चे के शरीर में कोई हलचल नहीं थी। मौके पर मौजूद मेडिकल टीम उसे एम्बुलेंस से अस्पताल लेकर पहुंची, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। वहीं जिला पंचायत सीईओ सौरभ सोनवडे ने भी मयंक की मौत की पुष्टि की है।
रेस्क्यू के दौरान बाधा बन रहे पानी को NDRF और SDERF की टीमों ने मोटर पंप की मदद से निकाला। रेस्क्यू टीम के मुताबिक, पानी की वजह से जमीन दलदल जैसी बन गई थी। वहीं सुरंग के दूसरे मुहाने पर एंबुलेंस लगा रखी थी। साथ ही पुलिस ने उसके आसपास घेरा बनाकर रखा था।
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गेहूं की बालियां बीनते हुए बोरवेल में गिरा मासूम
रीवा जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर जनेह थाना क्षेत्र के मनिका गांव में शुक्रवार दोपहर (12 अप्रैल) करीब साढ़े तीन बजे 6 साल का मासूम मयंक कोल 160 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया। जानकारी के मुताबिक, यह बोरवेल खुला हुआ था। बताया जा रहा कि मासूम खेत में दोस्तों के साथ बालियां बीनने गया था, इस दौरान वह खेत में घास से ढंके बोरवेल में गिर गया। मयंक के साथ मौजूद बच्चों ने उसके परिजनों को जानकारी दी। घटना की सूचना मिलने पर एसपी और कलेक्टर मौके पर पहुंच गए। रेस्क्यू टीम ने मौके पर पहुंचकर बचाव कार्य शुरू कर दिया।
कई बार निर्देश दिए जाने पर भी बंद नहीं हुए बोरवेल
जून 2022 में ओरछा के नारायणपुरा में बोरवेल में चार वर्ष के दीपेंद्र के गिरने की घटना के बाद तत्कालीन गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा था कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कानून बनाया जाएगा। इसमें राहत कार्य में होने वाले व्यय को वसूलने का प्रावधान भी रहेगा। इसके बाद 17 मार्च 2023 को विदिशा में 60 फीट गहरे बोरवेल में लोकेश नामक मासूम गिर गया था। सरकार ने तब बोरवेल खुला छोड़ने के खिलाफ सख्त कानून बनाने की बात कही थी। जानकारी के अनुसार, पिछले दो साल में शासन खुले बोरवेल बंद कराने को लेकर कलेक्टरों को आधा दर्जन बार गाइडलाइन और निर्देश जारी कर चुका है, लेकिन अमल नहीं हुआ। हालिया निर्देश 7 फरवरी को ही पीएचई के सचिव द्वारा जारी किया गया था।
वर्तमान में खुले बोरवेल की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सरकार के पास कोई स्पष्ट नीति-नियम नहीं हैं। लेकिन कलेक्टर चाहें तो खुले बोरवेल मालिक के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।
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दो साल में कुछ प्रमुख घटनाएं
- जनवरी 2022 में छतरपुर जिले में दीपेंद्र नाम का बच्चा 30 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया, जिसे साढ़े सात घंटे की मेहनत के बाद सुरक्षित निकाला जा सका।
- दिसंबर 2022 में बैतूल में बोरवेल में गिरने से बच्चे की जान चली गई।
- मार्च 2023 में विदिशा में 60 फीट गहरे बोरवेल में लोकेश की गिरने से मौत हो गई।
- जून 2023 में ढाई साल की बच्ची सृष्टि मुंगावली में खेलते-खेलते एक गहरे बोरवेल में जा गिरी थी। बच्ची को बचाया नहीं जा सका।
- दिसंबर 2023 में राजगढ़ के पिपलिया रसोदा गांव में माही नाम की बच्ची बोरवेल में गिर गई। बच्ची को बचाया नहीं जा सका।
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