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Shivani Gupta
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हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। हर साल कुल 26 एकादशी पड़ती हैं और हर महीने दो बार यह तिथि आती है। शास्त्रों में इसे भगवान विष्णु की उपासना के लिए सर्वोत्तम दिन माना गया है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को परिवर्तनी एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन योगनिद्रा में रहने वाले भगवान विष्णु करवट बदलते हैं, इसलिए इसे परिवर्तनी एकादशी कहा जाता है।
इस साल परिवर्तनी एकादशी का व्रत 3 सितंबर 2025, बुधवार को रखा जाएगा। इस दिन रवि योग बन रहा है, जिससे व्रत का महत्व और बढ़ जाएगा। साथ ही आयुष्मान योग, सौभाग्य योग और राजयोग भी बन रहा है, जो इस तिथि को और भी शुभ बनाता है।
हिंदू धर्म में हर एकादशी व्रत को बेहद पवित्र माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्री विष्णु की विशेष कृपा मिलती है। भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को परिवर्तनी या जलझूलनी एकादशी कहते हैं। यह व्रत सौभाग्य और सुख-समृद्धि देने वाला माना गया है।
व्रत तिथि: 03 सितंबर 2025, बुधवार
व्रत पारण: 04 सितंबर 2025 को दोपहर 01:36 से 04:07 बजे के बीच
सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। घर के पूजा स्थान पर भगवान विष्णु का स्मरण करें। शुद्ध जल अर्पित करें और फिर धूप-दीप, चंदन, फूल, मिष्ठान, नारियल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें। एकादशी व्रत की कथा सुनें। विष्णु मंत्र का तुलसी की माला से कम से कम एक माला जप करें।
एकादशी व्रत बिना पारण के अधूरा माना जाता है। अगले दिन विधिवत पारण करें और भगवान से आशीर्वाद मांगें। किसी मंदिर में जाकर पुजारी को सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा दें।
मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण पहली बार नंद बाबा और यशोदा जी के साथ ब्रज भ्रमण पर निकले थे। इसीलिए इस दिन भक्त कान्हा को पालकी में बैठाकर घुमाते हैं और झूला झुलाते हैं। इसे जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन योगनिद्रा में रहने वाले भगवान विष्णु करवट बदलते हैं।
तो, इस परिवर्तनी एकादशी का व्रत रखकर सुख-समृद्धि, सौभाग्य और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करें।