नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को नीट- यूजी परीक्षा में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने एनटीए को परीक्षा रद्द करने से रोकने की मांग वाली गुजरात के 50 से अधिक सफल परीक्षार्थियों की याचिका पर भी सुनवाई की।
इस दौरान शीर्ष कोर्ट ने कहा कि एक बात तो साफ है कि प्रश्न- पत्र लीक हुआ है। सवाल यह है कि इसकी पहुंच कितनी व्यापक है? इसके दायरे से तय होगा कि परीक्षा दोबारा कराई जाए या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि केंद्र और एनटीए ने इस गड़बड़ी से किनकि न छात्रों को फायदा पहुंचा है ? यह जानने के लिए क्या कार्रवाई की? मामले पर अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि लीक होने के कारण कितने छात्रों के परिणाम रोके गए। कोर्ट ने पूछा कि ये छात्र कहां हैं? क्या हम अभी भी गलत काम करने वालों का पता लगा रहे हैं और क्या हम लाभार्थियों की पहचान कर भी पाएं हैं?
कोर्ट ने कहा कि हर मध्यम वर्ग का व्यक्ति चाहता है कि उनके बच्चे या तो चिकित्सा या इंजीनियरिंग की पढ़ाई करें। यह मानते हुए कि हम परीक्षा रद्द नहीं करने जा रहे हैं, ऐसे लोगों की पहचान कैसे करेंगे, जिन्हें इस धांधली का फायदा हुआ है। क्या हम काउंसलिंग होने देंगे?
इस साल 5 मई को नीट यूजी परीक्षा हुई थी। 571 शहरों के 4,750 परीक्षा केंद्रों पर लगभग 24 लाख अभ्यर्थी इसमें शामिल हुए थे, लेकिन पेपर लीक और 1563 स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क देने के बाद कई छात्रों ने परीक्षा धांधली और गड़बड़ी का आरोप लगाया था।
पुन: परीक्षा का आदेश देने से पहले, हमें सावधान रहना चाहिए। उस लीक की प्रकृति क्या है? हम 24 लाख छात्रों के कॅरियर से निपट रहे हैं... लीक किस समय हुई? लीक कैसे फैलाई गई? ये महत्वपूर्ण प्रश्न हैं। और अगला, बहुत महत्वपूर्ण - भारत सरकार और एनटीए ने गलत कामों की पहचान करने के लिए क्या कार्रवाई की है और गलत कामों के लाभार्थी कौन हैं? यदि प्रश्नपत्र टेलीग्राम, वॉट्सऐप और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से लीक होता है, तो यह जंगल की आग की तरह फैलता है। - डीवाय चंद्रचूड़, सीजेआई