Manisha Dhanwani
2 Nov 2025
धर्म डेस्क। सनातन परंपरा में हर महीने के कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित माना जाता है और इसे करने से भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष काल में की गई पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।
इस साल नवंबर के दोनों प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ रहे हैं। सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है, इसलिए इसे ‘सोम प्रदोष व्रत’ कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मन की शांति मिलती है, मानसिक परेशानियां दूर होती हैं और शिव कृपा से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि पर इस साल का पहला प्रदोष व्रत 3 नवंबर 2025, सोमवार को पड़ रहा है। यह पावन तिथि सुबह 5:07 बजे से शुरू होकर अगले दिन दोपहर 2:05 बजे तक रहेगी। कहा जाता है कि शुभ मुहूर्त में यदि कोई भक्त पूरे मन से भोलेनाथ की आराधना करता है, तो महादेव प्रसन्न होकर उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
शुभ मुहूर्त (प्रदोष काल)- सायंकाल 5:34 बजे से रात 8:11 बजे तक
नवंबर का दूसरा प्रदोष व्रत 17 नवंबर 2025, सोमवार को रहेगा। यह मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि होगी। यह तिथि 17 नवंबर की सुबह 4:47 बजे शुरू होकर 18 नवंबर की सुबह 7:12 बजे समाप्त होगी। भक्त इस अवधि में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा कर सकते हैं।
शुभ मुहूर्त (प्रदोष काल)- सायंकाल 5:27 बजे से रात 8:07 बजे तक
धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि प्रदोष व्रत भगवान शिव का सबसे प्रिय व्रत है। जो व्यक्ति श्रद्धा और नियम से प्रदोष काल में शिव पूजा करता है भोलेनाथ उस पर प्रसन्न होकर उसके जीवन से सभी दुख और बाधाएं दूर करते हैं।