Naresh Bhagoria
15 Nov 2025
मालेगांव ब्लास्ट केस में एनआईए की विशेष अदालत ने 31 जुलाई 2025 को बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने बीजेपी की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित समेत सातों आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट का कहना था कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है।
फैसले के दो दिन बाद प्रज्ञा ठाकुर ने जांच अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और राम माधव जैसे नेताओं का नाम लेने का दबाव बनाया गया था।
प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, 'मुझसे जबरन झूठ बुलवाने की कोशिश की गई। मेरे फेफड़े तक खराब हो गए थे, मुझे गैरकानूनी तरीके से अस्पताल में हिरासत में रखा गया। मैं गुजरात में रहती थी, इसलिए मुझसे कहा गया कि मैं पीएम मोदी का नाम लूं, लेकिन मैंने इनकार कर दिया।'
प्रज्ञा ठाकुर के आरोप उस गवाह के बयान के बाद आए हैं, जिसने कोर्ट में पलटी मारते हुए कहा कि उसे योगी आदित्यनाथ और आरएसएस के चार अन्य नेताओं को फंसाने के लिए मजबूर किया गया था। इसमें इंद्रेश कुमार का नाम भी शामिल था।
पूर्व एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर ने भी दावा किया कि उनसे कहा गया था कि मोहन भागवत को गिरफ्तार किया जाए, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि पूरी जांच को भगवा आतंकवाद की दिशा में मोड़ने की कोशिश की गई थी। हालांकि कोर्ट ने इन दावों को स्वीकार नहीं किया।
29 सितंबर 2008 को मालेगांव की एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में लगे विस्फोटक से धमाका हुआ था। इस हादसे में छह लोगों की मौत हुई और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस मामले में कुल 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन सात के खिलाफ ही चार्जशीट दाखिल हुई थी। अब सभी को कोर्ट से राहत मिल गई है।